लेम्पस कर्मियों की हड़ताल को कांग्रेस का समर्थन — 15 नवम्बर से धान खरीदी पर संकट के आसार – देखे वीडियो


जगदलपुर (प्रभात क्रांति) । छत्तीसगढ़ में एक बार फिर शासकीय कर्मचारियों का हड़ताल दौर शुरू हो गया है। सरकार के वादों और घोषणा पत्र के बिंदुओं के अमल में देरी से असंतुष्ट कर्मचारियों ने अब सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा की है ।
बस्तर जिला जगदलपुर के मंडी प्रांगण में लेम्पस कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर धरना और हड़ताल शुरू कर दी है। सहकारिता विभाग के इन कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार शासन को पत्र और मौखिक रूप से अवगत कराया, परंतु अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई ।


लेम्पस कर्मियों की चार प्रमुख माँगें –
- प्रबंधकीय अनुदानरू मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ की सभी 2058 सहकारी समितियों को प्रति वर्ष 3-3 लाख रुपये का प्रबंधकीय अनुदान दिया जाए ।
- वेतन एवं नियमितीकरणरू उचित मूल्य दुकानदारों और संविदा ऑपरेटरों को 12 माह का वेतन दिया जाए (वर्तमान में 6 माह दिया जाता है), साथ ही उन्हें नियमित किया जाए। विभागीय भर्ती में सहायक कर्मचारियों को 50ः कोटा और आयु व योग्यता में छूट दी जाए ।
- धान खरीदी में सूखत राशिरू धान खरीदी के दौरान समय पर उठाव न होने से होने वाले ‘सूखत’ (शॉर्टेज) की राशि को मान्यता दी जाए और वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 की लंबित राशि समितियों को शीघ्र दी जाए ।
- सेवा नियम संशोधनरू वर्ष 2018 के सेवा नियम में संशोधन कर कर्मचारियों को उचित वेतनमान, पेंशन, भविष्य निधि, ई.एस.आई.सी., महंगाई भत्ता आदि का लाभ दिया जाए ।


राज्य सरकार जहाँ 15 नवम्बर से धान खरीदी का शुभारंभ करने जा रही है, वहीं हड़ताल से पहले ही लेम्पस मैनेजर, लेखापाल, कम्प्यूटर ऑपरेटर और अन्य कर्मचारी काम छोड़ चुके हैं ।
इससे राज्य सरकार के लिए धान खरीदी की तैयारी प्रभावित हो सकती है और किसानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है ।

ग्रामीण इलाकों में लेम्पस समितियाँ किसानों और सरकार के बीच सेतु का काम करती हैं। ऐसे में यह हड़ताल धान खरीदी व्यवस्था को बाधित कर सकती है ।
इस हड़ताल को लेकर बस्तर जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुशील मौर्य और किसान कांग्रेस अध्यक्ष दयाराम कश्यप ने हड़ताल स्थल पहुँचकर कर्मियों को समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि ”भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद से सहकारी समिति कर्मचारियों को केवल आश्वासन मिल रहा है, जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उनकी माँगें पूरी तरह जायज हैं और सरकार को तत्काल निर्णय लेना चाहिए ।“

उन्होंने आगे कहा कि किसानों और सहकारी समितियों का रिश्ता राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ऐसे में सरकार को जल्द ही सकारात्मक पहल कर समाधान निकालना चाहिए ।
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