उच्च अधिकारियों द्वारा शहर एव ग्रामीण क्षेत्रों में कमीशन खोरी लगातार जारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हड़ताल का पैसा अब तक दबाया…
जगदलपुर(प्रभात क्रांति), बड़े अधिकारियों के द्वारा कमीशन खोरी,काली कमाई कार्यकर्ताओं से अवैध वसूली यह सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र की ही बात नही है शहरी क्षेत्रों में भी यही हो रहा है शहरी क्षेत्र में तो बड़े अधिकारी अपने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के जो हड़ताल का पैसा है उसको तक दबा कर बैठ गए हैं जिसका भुगतान आज दिनांक तक नही हुआ है.
भ्रष्टाचारी अधिकारी जब तक पकड़ में नहीं आते हैं तब तक चुप कर कमीशन लेते हैं और जब पकड़ में आते हैं तब खुल कर लेते हैं,, क्योंकि इनको पता है की सिस्टम इनका कुछ बिगाड़ नही सकता,,,उपर तक खिलाते हैं इसलिए कार्यवाही से बच जाते हैं.
कुछ दिन पूर्व जगदलपुर मुख्यालय के महिला एवं बाल विकास विभाग (ग्रामीण) क्षेत्र से एक खबर प्रकाशित किया गया था की माड़पाल, कलचा, करणपुर , धनपुंजी,आड़ावाल, गरावंड खुर्द,, सेक्टर की कार्यकर्ताओं ने अपनी सुपरवाइजरों पर आरोप लगाते हुए कहा था की कई वर्षो से एक ही सुपरवाइजर उसी सेक्टर में गुड़ में मक्खी की तरह चिपकी हुई हैं जिससे किसी अन्य सुपरवाइजरों को मौका ही नही मिल रहा है और ये अधिकारी इसी बात का फायदा उठाते हुए हितग्राहियों को मिलने वाले सूखे राशन , गर्म भोजन व कई और भी सुविधा मिलता हैं जिनके नाम पर ये सुपरवाइजर दीमक की तरह खोखला कर रही हैं.
कोई सुपरवाइजर 10 वर्ष तो कोई सुपरवाइजर 20 वर्ष से एक जगह चिपके हैं और मोटी कमाई खा रहे हैं.
ग्राम रामपाल की एक कार्यकर्ता ने जानकारी दिया कि गर्म भोजन के नाम से जो पैसा आया था उसमे उनकी सुपरवाइजर मार्च 2024 में 5 हजार रुपए अपना कमीशन बोल कर कार्यकर्ता से ले ली.
इस संबंध में पूर्व में भी शिकायत हुआ था इस पर उच्च अधिकारी ने कार्यवाही करने का आश्वासन भी दिया था मगर आचार संहिता का हवाला देते हुए कार्यवाही ठंडे बस्ते पर चला गया जिससे सुपरवाइजरों का हौसला बुलंद हो गया और वो अपनी ऊंची पहुंच दिखा कर कार्यवाही से बच गई.
एक सुपरवाइजर जो 20 वर्षो से नाग की तरह कुंडली मार कर बैठे हुए हैं ये और इनके डिपार्टमेंट की एक उच्च अधिकारी मोहदया जी साथ में वसूली करने निकलते है समय आने पर नाम भी उजागर किया जायेगा.
एक नामी सुपरवाइजर अपनी काली कमाई और अपनी नौकरी के घमंड में चूर अपने सात फेरे को भी दाव पर लगाने के लिए तैयार है.
अब देखना यह है की आचार संहिता खत्म होने वाला है और अब जो ये सुपरवाइजर इतने वर्षो से एक ही जगह पर टिकी हुई है उन आंगनबाड़ी की सुपरवाइजरों को प्रशासन इधर से उधर करती है या इस बार फिर से मामला ठंडे बस्ते पर जायेगा.
कुछ सेक्टर की कार्यकर्ताएं अपना नाम ना बताने व कैमरे के सामने नही आने की शर्त पर कहते हैं की वे अपनी सुपरवाइजरों से काफी परेशान हैं उनके तानाशाही से परेशान हैं,,,उच्च अधिकारी से शिकायत करो तो वो अपनी पहुंच दिखा कर मामले को दबाने के लिए जबरन हस्ताक्षर करवाती हैं.
अब देखना यह है कि इस बार खबर चलने के बाद कोई कार्यवाही होती है या फिर पिछली बार की तरह इस बार भी कार्यकर्ताओं से जबरन हस्ताक्षर करवा कर पिछली बार की तरह इस बार भी इस मामले को दबा दिया जायेगा.