अधिवक्ता भक्त और भगवान की बीच की कड़ी है – दिनेश पानीग्राही, नया भारत को गढ़ने में वकीलों की भूमिका अहम – सपन देवांगन, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद (एबीएपी) ने अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया


जगदलपुर (प्रभात क्रांति)। अधिवक्ता परिषद (एबीएपी) के अधिवक्ता साथियों ने बुधवार 3 दिसंबर को संघ कार्यालय में अधिवक्ता दिवस (एडवोकेट डे) मनाया । इस अवसर पर 30 से अधिक जज व अभियोजन अधिकारी बनने में मार्गदर्शन करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश पानीग्राही का शाल और श्रीफल प्रदान कर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डा. राजेंद प्रसाद के चित्र पर माल्यार्पण व श्रद्धासुमन अर्पित कर किया गया।
इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता एबीएपी की मध्य भारत की सहसंयोजक झंरना बांगर सिंह ने बताया भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिवस 3 दिसंबर पर भारत भर में अधिवक्ता दिवस मनाया जाता है। राजेंद्र प्रसाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के साथ संविधान समिति के अध्यक्ष भी थे। इन सबके पहले वे वक़ील रहे हैं। एबीएपी के संभागीय अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सपन देवांगन ने बताया कि वकालत विश्व भर में अत्यंत सम्मानीय और गरिमामय पेशा है। भारत में भी वकालत गरिमामय और सत्कार के पेशे के तौर पर हर दौर में बना रहा है।
स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों से अधिक योगदान किसी और पेशे का नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम में वकीलों ने जमकर लोहा लिया है। महात्मा गांधी से लेकर बी. आर. आबेडकर तक लोग वकालत के पेशे से अपने जीवन की शुरुआत करने वाले रहे हैं। इन सब भारत की महान विभुतियो की प्रारंभिक पेशे वकालत ही रहे बाद में यह लोग भले ही राष्ट्रपति हुए। नया भारत को गढ़ने में वकीलों की भूमिका अहम रही।
वरिष्ठ अधिवक्ता एल. ईश्वर राव ने कहा कि आज के युग में अधिवक्ताओं को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए जो कि सरलता सहजता के पर्याय थे।अधिवक्ता का पेशा एक स्वत्रंत पेशा है ब्लकि यह पेशा समाज में एक विशिष्ट स्थान रखता है।
आज अधिवक्ता दिवस पर वरिष्ठ अधिवक्ता पुर्व अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष, पुर्व 360 आरण्यक समाज के अध्यक्ष एवं आरण्यक लाॅ एकेडमी के संचालक दिनेश पानीग्राही का विधि के क्षेत्र में अमुल्य योगदान देने एवं उनके मार्गदर्शन में 30 से अधिक जज एवं अभियोजन अधिकारी बने, उनका साल एवं श्रीफल देकर सम्मान किया गया।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की सारी न्याय व्यवस्था अधिवक्ता के काम पर टिकी हुई है। अधिवक्ता न्यायालय के अधिकारी हैं, इसलिए अधिवक्ताओं को क्षमता वर्धन के लिए अधिक से अधिक किताबों का निरंतर अध्ययन करते रहना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अधिवक्ता भक्त और भगवान की बीच की कड़ी है एवं भक्त की बात को भगवान तक पाहुँचने का माध्यम है।
कार्यक्रम का संचालन एबीएपी के संभागीय सचिव श्रीनिवास रथ ने किया उन्होंने राजेन्द्र प्रसाद के जीवनी के बारे विस्तार से बताया । धन्यवाद ज्ञापन आरती दुआ ने प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता शंशाक ठाकुर, पवन राजपूत. उमेश ठाकुर, प्रिती वानखेड़े, प्रतिमा राय, सरिता सथपथी, संतोष कवासी , जयांश देवांगन सहित अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।





