छत्तीसगढ़

वन कर्मियों पर हमले के विरोध में रेंजर एसोसिएशन की आपात बैठक, दोषियों की गिरफ्तारी की उठी मांग….देखें वीडियो

जगदलपुर (प्रभात क्रांति)। बस्तर जिला, जो घने वनों और जैव विविधता से समृद्ध है, वहां वन विभाग दिन-रात जंगलों की सुरक्षा में जुटा रहता है। वन्य जीवों की रक्षा, अवैध कटाई पर रोक और तस्करी पर निगरानी के लिए वन कर्मी सुदूर और संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करते हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में कार्यरत वन कर्मियों पर लगातार हो रहे हमले अब चिंता का विषय बन चुके हैं।

ड्यूटी के दौरान हमला, वन कर्मी गंभीर रूप से घायल

हाल ही में जगदलपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ड्यूटी पर तैनात वनरक्षक श्री सम्भुलाल मौर्य पर कुछ अज्ञात आरोपियों ने जंगल निरीक्षण के दौरान हमला कर दिया। यह हमला उस समय हुआ जब वे जंगल क्षेत्र में अवैध गतिविधियों पर नजर रख रहे थे। मारपीट की इस घटना में श्री मौर्य गंभीर रूप से घायल हो गए। ऐसी घटनाएं न केवल वन विभाग के मनोबल को गिराती हैं, बल्कि जंगल की सुरक्षा व्यवस्था को भी कमजोर करती हैं।

वन कर्मियों के पास नहीं होते हथियार, फिर भी निभाते हैं खतरनाक जिम्मेदारी

वन कर्मियों को वनों में ड्यूटी देते समय किसी प्रकार की हथियार या सुरक्षा व्यवस्था नहीं दी जाती। उनके सामने तस्करों और अपराधियों का सीधा खतरा होता है, जो कई बार हथियारों से लैस होते हैं। ऐसे में वन कर्मचारी निहत्थे रहते हुए भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि वनों की रक्षा करने वाले ये सिपाही हर दिन जान का जोखिम उठाकर जंगल में कानून व्यवस्था बनाए रखते हैं।

रेंजर एसोसिएशन की आपात बैठक, सरकार से कार्रवाई की मांग

हमले की घटना के बाद रेंजर एसोसिएशन और सभी वन कर्मियों ने एक आपातकालीन बैठक आयोजित की। बैठक में सभी सातों वन परिक्षेत्र के अधिकारी, डिप्टी रेंजर और कर्मचारियों ने भाग लिया। उन्होंने इस हमले की निंदा करते हुए स्पष्ट किया कि अगर ऐसे अपराधियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो वन विभाग का मनोबल टूटेगा और तस्कर बेखौफ हो जाएंगे। उन्होंने राज्य सरकार एवं उच्च अधिकारियों से मांग की कि दोषियों को शीघ्र गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

भविष्य में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता

इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए वन कर्मियों को पर्याप्त सुरक्षा संसाधन जैसे वायरलेस, हथियार एवं सुरक्षा दल उपलब्ध कराए जाएं। बस्तर जैसे नक्सल प्रभावित और घने जंगलों में कार्यरत कर्मियों के लिए यह बेहद आवश्यक है। वन कर्मी जंगलों की रक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

देखें वीडियो –

 

 

 

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