छत्तीसगढ़

किसान कांग्रेस ने राज्यपाल और कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन — PESA उल्लंघन और किसानों की समस्याओं पर जताई कड़ी आपत्ति – देखें वीडियो

जगदलपुर (प्रभात क्रांति)। बस्तर जिले में रेत उत्खनन और किसानों की लगातार बढ़ती समस्याओं को लेकर जिला किसान कांग्रेस ने राज्यपाल महोदय, छत्तीसगढ़ राज्य, रायपुर के नाम तथा कलेक्टर बस्तर को एक ज्ञापन सौंपा।

इस ज्ञापन में किसान कांग्रेस ने PESA अधिनियम और छत्तीसगढ़ पेसा नियम 2022 के उल्लंघन, साथ ही धान खरीदी और कृषि नीति से जुड़ी किसानों की समस्याओं को लेकर गंभीर आपत्ति जताई है।

रेत उत्खनन में PESA अधिनियम की अनदेखी पर आपत्ति

ज्ञापन में कहा गया है कि बस्तर संभाग, जो पाँचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है, वहाँ बिना ग्राम सभा की अनुमति के रेत उत्खनन और ई-नीलामी प्रक्रिया चलाई जा रही है।
यह प्रक्रिया PESA अधिनियम, 1996 और छत्तीसगढ़ पेसा नियम, 2022 का सीधा उल्लंघन है, क्योंकि ग्राम सभा की पूर्व स्वीकृति के बिना कोई भी खनन या उत्खनन कार्य नहीं किया जा सकता।

किसान कांग्रेस ने कहा कि यह कदम ग्राम सभाओं की संवैधानिक स्वायत्तता, पर्यावरणीय अधिकारों और पारंपरिक आजीविका के खिलाफ है।

ज्ञापन में कहा गया —“ग्राम सभा की अनुमति के बिना किए जा रहे रेत उत्खनन से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का हनन हो रहा है, बल्कि स्थानीय जनता की आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।”

किसानों की समस्याओं पर भी जताई नाराजगी

ज्ञापन में किसान कांग्रेस ने धान खरीदी और कृषि नीतियों से जुड़ी अनेक समस्याओं को भी उठाया।
किसानों ने कहा कि धान खरीदी का भुगतान सीधे ग्राम पंचायतों में किया जाए, ताकि बिचौलियों और बैंकिंग विलंब से राहत मिले।

मुख्य माँगें इस प्रकार रखी गईं —

  1. धान खरीदी का भुगतान ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाए।

  2. सभी प्रकार के धान को समान दर पर खरीदा जाए।

  3. फसल परिवर्तन प्रोत्साहन राशि पुनः शुरू की जाए।

  4. फसल नुकसान पर राज्य सरकार बीमा और मुआवजा सुनिश्चित करे।

  5. खरीदी केंद्रों में रखा धान समय पर नहीं उठाए जाने पर किसानों को दोषी न ठहराया जाए।

किसान कांग्रेस ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने इन समस्याओं का शीघ्र समाधान नहीं किया, तो किसान संगठन उग्र आंदोलन करने पर विवश होंगे।

किसान कांग्रेस ने कहा कि बस्तर जैसे आदिवासी अंचल में विकास के नाम पर PESA कानून की अनदेखी और किसानों की उपेक्षा स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि रेत, जंगल और जमीन बस्तर की आत्मा हैं, और ग्राम सभा की सहमति के बिना कोई भी निर्णय असंवैधानिक है।

देखें वीडियो – 

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