भेदभाव के खिलाफ KVK कर्मचारियों की आवाज बुलंद, IGKV प्रशासन को सौंपा ज्ञापन, राज्यभर में संघर्ष की चेतावनी, केंद्र सरकार और ICAR को भेजी गई रिपोर्ट…

रायपुर (प्रभात क्रांति)। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (IGKV), रायपुर के अधीन कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के अधिकारियों और कर्मचारियों ने संस्थागत भेदभाव और संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को National Forum of KVK & AICRP के बैनर तले प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति को ज्ञापन सौंपते हुए अपनी मांगों और पीड़ाओं को स्पष्ट रूप से रखा।
कर्मचारियों की प्रमुख समस्याएं –
सामाजिक सुरक्षा से वंचित:
KVK कर्मचारियों को GPF (General Provident Fund) और NPS (National Pension Scheme) जैसी बुनियादी पेंशन योजनाओं से वंचित कर दिया गया है, जबकि उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम 1987 के तहत हुई है। यह न केवल भेदभाव है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है।
वैधानिक भत्तों पर रोक:
मेडिकल भत्ता सहित कई वैधानिक लाभ बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दिए गए हैं, जो श्रम कानूनों का सीधा उल्लंघन है।
पदोन्नति योजना की समाप्ति:
कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (CAS), जो कर्मचारियों की पदोन्नति का आधार थी, बिना किसी कारण या स्पष्टीकरण के खत्म कर दी गई, जिससे सैकड़ों कर्मचारियों के करियर पर असर पड़ा है।
सेवानिवृत्ति आयु में असमानता:
विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु जहाँ 62 से 65 वर्ष है, वहीं KVK कर्मचारियों की आयुसीमा 60 वर्ष निर्धारित की गई है, जो सरासर भेदभाव है।
सेवानिवृत्ति लाभों का अभाव:
पेंशन, ग्रेच्युटी और मेडिकल सुविधाओं जैसे मूल अधिकारों से कर्मचारियों को वंचित रखा गया है, जिससे उन्हें भविष्य की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता है।
मुख्य मांगे:
GPF/NPS, मेडिकल भत्तों और CAS योजना को तुरंत बहाल किया जाए।
KVK कर्मचारियों को विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारियों के समान सेवा शर्तें और दर्जा दिया जाए।
सेवानिवृत्ति आयु को विश्वविद्यालय नियमों के अनुसार 62 (गैर-तकनीकी) और 65 (तकनीकी) वर्ष किया जाए।
KVK को विश्वविद्यालय की “विस्तार इकाई” के रूप में आधिकारिक मान्यता दी जाए।
संघर्ष की चेतावनी:
नेशनल फोरम ने स्पष्ट किया है कि यदि 30 दिनों के भीतर इन मांगों पर कोई ठोस और सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया, तो राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू किया जाएगा, जिसकी नैतिक जिम्मेदारी पूरी तरह विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी।
नेतृत्व और भागीदारी:
इस विरोध प्रदर्शन में डॉ. प्रदीप सिंह, रंजीत मोदी, चंद्रशेखर खरे, धर्मपाल केरकेट्टा, प्रमिला जोगी, दुष्यंत पाण्डेय, डॉ. पुरनेंद्र देव वर्मा, डॉ. शक्ति वर्मा, सचिन वर्मा जैसे प्रमुख वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने नेतृत्व किया। इनके साथ-साथ छत्तीसगढ़ के लगभग 150 KVK अधिकारी एवं कर्मचारी इस प्रदर्शन में शामिल हुए और अपनी आवाज़ बुलंद की।
यह ज्ञापन राज्यपाल, केंद्रीय कृषि मंत्री, मुख्यमंत्री, ICAR और अन्य संबंधित उच्च अधिकारियों को भी भेजा गया है, ताकि कर्मचारियों को उनका वाजिब हक दिलाया जा सके।