लौह नगरी किरंदुल के बाजार को लेकर व्यापारी हैं परेशान….

दंतेवाड़ा(प्रभात क्रांति), दंतेवाड़ा जिला के लौह नगरी किरंदुल का एक मात्र बाजार एक ऐतिहासिक धरोहर है, लगभग 1968 में एनएमडीसी के प्रोत्साहन और सहयोग से किरंदुल का बाजार स्थापित हो पाया तत्कालीन परिस्थितियों के मद्देनजर लौह नगरी किरंदुल का यह बाजार बिल्कुल सटीक था किन्तु कालांतर में जनसंख्या व प्रतिस्पर्धा बढ़ने के साथ ही यह स्पष्ट परिलक्षित होने लगा बाजार लगने का यह स्थान अब इतना दबाव सहने में सक्षम नहीं है व पूर्णतया व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी हैं, बाजार के मुख्य प्रवेश से होकर गुजरने वाला मार्ग लौह परिवहन की वजह से भारी वाहनों से निरंतर व्यस्ततम मार्गों में से एक है,और बड़ी मल्टी नेशनल कंपनियों की भारी मशीनरी की आवाजाही उक्त मार्ग पर बनी रहती हैं,यह एक विकराल समस्या है नगर में प्रति सप्ताह चार बजार लगते हैं जिसमें जनसैलाब उमड़ता है जो हर वक्त खतरे को खुला आमंत्रण है और सत्य तो यह की कई दफा दुर्घटना हो भी चुकीं है,इन्हीं सब समस्याओं के समाधान के लिए नगर पालिका परिषद किरंदुल द्वारा गांधी नगर के नीचे करोड़ों की लागत से हाट बाजार का निर्माण कराया गया सारी मूल भूत व्यवस्थाएं दी गईं,और व्यापारियों को वर्तमान परिस्थितियों से अवगत कराते हुए भविष्य में तेजी से होती जनसंख्या वृद्धि होने वाले भीषण परिणामों के विषय में अवगत कराते हुए बाजार को स्थानीय प्रशासन व जिला प्रशासन ने अथक प्रयास से गांधी नगर हाट बाजार में शिफ्ट कर दिया ।
किन्तु चन्द दिनों बाद ही कुछ विघ्न संतोषी तत्वों और राजनैतिक हस्तक्षेप के चलते शासन प्रशासन की सारी कसरत और किया धरा विफल हो गया बाजार फिर वापस अपनी पुरानी जगह पर लौट आया और उसी घिसी पिटी पुरानी परिपाटी पर तमाम खतरों के साथ अग्रसर है, उक्त घटना के बाद बाजार की परिस्थितियों की नाजुक स्थिति को दृष्टिगत स्थानीय प्रशासन व निकाय प्रमुख ने मामले में पुनः संज्ञान लिया और बाजार से गुजरने वाले मुख्य मार्ग से अतिक्रमण को बलपूर्वक खाली करवाया, अमर बेल की तरह फैले ठेले, खोमचे और चखना की गुमटियों को बाजार के निकट ही स्थित चौपाटी में व्यवस्था चाक चौबंद कर, बिजली पानी की समुचित व्यवस्था के उपरांत स्थानांतरित कर सभी व्यवसायियों को मुख्य नगर पालिका अधिकारी द्वारा स्थान आबंटन भी कर दिया गया, कुछ दिनों तक तो सब ठीक ठाक चलता रहा लेकिन पुनः इतिहास ने अपने आपको दोहराया पुनः विघ्न संतोषी तत्व सक्रिय हुए, राजनैतिक हस्तक्षेप हुआ और परिणाम वही ढाक के दो पात, स्थिति जस की तस विश्वस्त सूत्रों से ऐसा ज्ञात हुआ है कि नगर पालिका परिषद किरंदुल की चुनावी प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत प्रशाशन तीसरा प्रयास करने के लिए तत्पर है, किन्तु एक यक्ष प्रश्न क्या पुनः प्रशासन के प्रयास को विफल कर दिया जाएगा, क्या पुनः राजनैतिक हस्तक्षेप होगा क्या पुनः स्थानीय राजनैतिक प्रतिस्पर्धा और समीकरणों के वशीभूत बाजार की स्थिति जस की तस हो जाएगी और निकट भविष्य में किसी भयावह घटना के बाद ही लोगों की आंखे खुलेंगी यह सब भविष्य के गर्त में समाया हुआ है ।
समस्या के समाधान हेतु पुराने बाजार से लगा हुआ छडक्ब् के ुनंतजमत खाली और जर्जर अवस्था मे पड़ा हैँ, महोदय जी के हस्तक्षेप से ही उन क्वार्टर को डेमोलिश कर बाजार को बढाकर खासकर उन दुकानों को जो मार्किट के बीच मे अतिक्रमण हैँ उन्हें सुव्यस्थित करने से काफी हद तक समस्या का समाधान किया जा सकता हैँ ।