छत्तीसगढ़

मत्स्य पालन यानी अतिरिक्त आय का आसान समाधान…

दंतेवाड़ा। बस्तर क्षेत्र में कृषकों के पास अक्सर खेतिहर भूमि के अलावा 1 से 2 एकड़ ऐसी भूमि भी उपलब्ध होती है। जो मत्स्य पालन के लिए आदर्श स्थल साबित हो सकता है। बेशक मत्स्य पालन की पुरानी परिपाटी को छोड़ दे तो वर्तमान में मत्स्य तकनीक, प्रबंधन, मत्स्य आहार, चारे की व्यवस्था, वैज्ञानिक विधियों ने मछली पालन को एक लाभकारी व्यवसाय में बदल दिया है। ओर तो ओर राज्यष्षासन की मात्स्यिकी पालन प्रोत्साहन योजनाओं, विभागीय मार्गदर्शन, सलाह से कृषक इसे सदाबहार नियमित आमदनी का स्रोत बना सकते है।

इस प्रकार जिले के प्रगतिशील कृषकों के मध्य मत्स्य पालन अतिरिक्त आमदनी का एक आकर्षक विकल्प उपस्थित कर रहा है। यह सिर्फ मछलियों के पालन एवं बिक्री तक ही सीमित नहीं है इस के साथ मत्स्य बीजों के उत्पादन, बत्तख एवं मुर्गी पालन जैसी अन्य आय मूलक गतिविधियां जुड़ जाती है इस क्रम में विकासखण्ड दन्तेवाड़ा अन्तर्गत ग्राम कुम्हाररास की जया कश्यप पति (आयतु कश्यप) भी मत्स्य पालन के व्यवसाय में अग्रणी कृषक के रूप में उभरी है। वे बताती है कि वर्ष 2011-12 से वे मत्स्य पालन व्यक्तिगत तौर पर प्रारंभ किया। और उन्होंने 2 हेक्टेयर की भूमि में तालाब खुदवाया। शुरुआत में मछली पालन की जानकारी नहीं होने के कारण उन्हें संतोषजनक आमदनी प्राप्त नहीं हो रही थी। फिर भी तालाब में बिना प्रबंधन तथा बिना आहार दिये 100-200 किलो घाम तक मछली का उत्पादन हो ही रहा था ।

तत्पश्चात मछली पालन विभाग के मत्स्य अधिकारी के सम्पर्क पश्चात मछली पालन में सम्बन्धित उन्नत तकनीकियों के बारे में जानकारी मिली। और विभाग द्वारा उन्हें हितग्राही मूलक योजनाओं के अन्तर्गत मत्स्याखेट उपकरण, परिपूरक आहार, मत्स्य बीज का लाभ दिया गया। इससे साल दर साल मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हुई। अभी वर्तमान में प्रतिवर्ष 20000,00 नग फिंगरलिंग संचयन जया कश्यप द्वारा किया जा रहा है। तथा परिपूरक आहार और तालाब के समुचित प्रबंधन से मछली पालन में प्रति वर्ष 975000.00 रुपये (नौ लाख पचहत्तर हजार रुपये) तक आमदनी हो रही है।

इसके अलावा सीमित तौर पर बत्तख एवं मुर्गी पालन भी कर रही है। वे कहती है कि स्थानीय बाजारों में ही मछलियों के खपत हो जाने से उन्हें बहुत लाभ हुआ है इस संबंध में कुछ समस्याओं का जिक्र करते हुए वे कहती है कि मछली बीजों का कभी कभार उपलब्ध न होना एक बड़ी दिक्कत है। अगर सही समय पर और किफायती दर पर मत्स्य बीज उपलब्ध हो तो निश्चित रूप से उत्पादन बढे़गा।

बहरहाल कृषक जया कश्यप खेती के साथ मछली पालन का कार्य कर अपने आय में वृद्धि होने से संतुष्ट है। मछली पालन में प्राप्त आय द्वारा जया कश्यप करने फार्म में पक्का मकान बनवाने के साथ तथा अपने व्यवसाय के लिए ट्रैक्टर, पिकअप वाहन भी खरीद लिया है। साथ ही अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा दे पाई है आज उनकी एक बेटी हैदराबाद में कार्यरत है समय समय पर जया कश्यप मत्स्य पालन संबंधी विभिन्न प्रशिक्षण में भाग लेती रहती है। नवीन तकनीकों के साथ मत्स्य पालन करके उन्होंने अपने को सफल कृषक के रूप में स्थापित कर लिया है।

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