सुशासन तिहार में शिकायत के बावजूद कार्यवाही से बच रही साय की सरकार, फर्जी नियुक्ति और भ्रष्टाचार पर सवाल….

जगदलपुर (प्रभात क्रांति), बस्तर जिले में आदिवासी समुदाय के अधिकारों का लगातार उल्लंघन हो रहा है और इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के मामले सामने आ रहे हैं । बीजापुर जनपद पंचायत में सहायक ग्रेड-03 के पद पर श्रवण कुमार श्रीवास्तव की फर्जी नियुक्ति का मामला जोरो पर है, जो एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। श्रीवास्तव को बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस पद पर नियुक्त किया गया, वह वर्तमान में जनपद पंचायत बकावंड में सहायक ग्रेड-02 के पद पर कार्यरत हैं।
यह नियुक्ति न केवल फर्जी है, बल्कि कई सामाजिक संस्थाओं और स्थानीय उम्मीदवारों द्वारा इसके खिलाफ शिकायतें भी की गई थीं। इसके बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार, जो केंद्र और राज्य दोनों में काबिज है, बस्तर में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर अंकुश लगाने में नाकाम रही है। यह सवाल उठता है कि आखिर क्यों ऐसी फर्जी नियुक्तियों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है, खासकर जब यह मामला आदिवासी समाज के अधिकारों से जुड़ा हुआ है।
सुशासन तिहार में शिकायत के बाद भी कार्यवाही नहीं
सुशासन तिहार में जब इस मुद्दे की शिकायत की गई, तब भी संबंधित अधिकारियों ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया। श्रवण कुमार श्रीवास्तव को बीजापुर से बकावंड स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्हें बिना किसी कारण के पदोन्नति भी दे दी गई। नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया, और सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को आदिवासी वर्ग के पद पर नियुक्त कर दिया गया। यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि क्या बीजापुर में इस पद के लिए कोई योग्य आदिवासी उम्मीदवार नहीं था? अगर था, तो उसे क्यों अवसर नहीं दिया गया?
सामाजिक संस्थाओं और आदिवासी नेताओं का कहना है कि इस प्रकार की फर्जी नियुक्तियां और भ्रष्टाचार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार ने इस मुद्दे को जानबूझकर नजरअंदाज किया, जिससे उनकी सरकार की छवि पर सवाल उठ रहे हैं।
यह मामला केवल प्रशासन और सरकार के लिए नहीं, बल्कि बस्तर क्षेत्र के आदिवासी समुदाय के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। यदि समय रहते इस पर उचित कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह सरकार और जनता के बीच विश्वास की दूरी को बढ़ा सकता है और सरकार की छवि को और भी धूमिल कर सकता है।