वन भूमि में अवैध अतिक्रमण को रोकने सामने आए ग्रामीण, वन विभाग की टीम के साथ अवैध कब्जा से कराया मुक्त….देखें विडियों –

जगदलपुर(प्रभात क्रांति), बस्तर जिला जगदलपुर के वन परिक्षेत्र बकावण्ड में अवैध वन भूमि में कब्जा को लेकर ग्रामीणों में एक जूटता देखने को मिला । यहां के ग्रामीणों ने जनपद पंचायत बकावण्ड के ग्राम पंचायत बेलपुटी कराहाभाटा में ग्राम पंचायत के दो ग्रामीणों ने मटनार बीट में अवैध कब्जा कर फसल ऊगाई पिछले 30 वर्षो से की जा रही एवं अवैध कब्जा में छोटे सरगी के वृक्ष को काटकर खेती भी किया जा रहा था तथा हर साल एक हेक्टेयर खेत भी बढ़ाया जाने की शिकायत ग्रामीणों द्वारा किया गया ।
राजस्व भूमि के शहरदी क्षेत्र में अतिक्रमण वन विभाग के मुनारा से नीचे जमीन था जिनका नाम चमरू एवं भारत नामक किसान है जिसका शहरदी क्षेत्र में राजस्व भूमि होने का फायदा उठाकर वन विभाग के भूमि में लगभग 30 वर्ष अवैध कब्जा कर खेती किया जा रहा था । वर्तमान में इनके द्वारा वन विभाग के जमीन को विस्तार करने की योजना भी बनायी जा रही थी किन्तु आसपास के ग्रामीणों के सुझ-बुझ से किसानों के द्वारा शिकायत के आधार पर वन विभाग के संबंधित अधिकारी वन परिक्षेत्र अधिकारी बी.डी. मानिकपुरी, एस.डी.एम., जिला कलेक्टर, तहसीलदार एवं वन विभाग के संयुक्त टीम द्वारा ग्रामीण वासियों के साथ मटनार बीट के अंतिम छोर में वन विभाग की भूमि को कब्जा कर गन्ना एवं मक्का लगाकर खेती करना पाया गया ।
इस संबंध में वन विभाग के वन परिक्षेत्र अधिकारी एवं बीट गार्ड के द्वारा जांच उपरांत पाया कि उनके द्वारा 30 वर्षो से कब्जा किया गया है उन्हें वन भूमि में पट्टा सरकार के द्वारा दिये जाने का था परन्तु सामान्य वर्ग होने के कारण इन्हें वन विभाग के द्वारा वन भूमि का पट्टा वितरण नही किया जा सका जिसके कारण उनके द्वारा अवैध रूप से वन भूमि को विस्तार कर अवैध खेती किया जा रहा था ।
विदित हो कि बस्तर जिला के कई क्षेत्रों में वन भूमि पर कब्जा कर लोग अपना ठिकाना बनाने में जुटे हुए है वही घटते वन एवं बढ़ते आबादी को लेकर ग्राम पंचायत के सरपंच एवं गांव के अन्य ग्राम वासियों के सुझ-बुझ से अवैध कब्जा पर संज्ञान लेते हुए विभाग से निेवदन किया गया है कि उक्त फसल को काटने के पश्चात वन भूमि पर सीपीटी नाली खोदवाने की बात कही तथा वर्तमान में वन भूमि पर अवैध कब्जा पर ग्राम वासियों के द्वारा श्रम दान कर पौधा लगाया गया तथा ग्रामीणों में वन भूमि की रक्षा के लिए सामने आए ।
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