माह भर पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर रही हलचल अब शांत, जिलाध्यक्ष नियुक्त करने में हो रही देरी से भाजपा को हो सकता है नुकसान…
दंतेवाड़ा से मीना झाड़ी....
दंतेवाड़ा(प्रभात क्रांति), माह भर पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष को लेकर रही हलचल अब शांत है यह दीगर बात है कि तूफान के पहले समुद्र भी शांत होता है. दूसरी बात यह भी है कि हालिया राजनीतिक परिस्थिति में भाजपा को जिलाध्यक्ष नियुक्त करने में हो रही देरी का नुकसान हो सकता है. बताना जरुरी है कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा संगठन जिलाध्यक्ष के लिए चेहरा तलाश रहा है. गोपनीय सर्वे भी संभवतः किया जा चुका है.
सूत्र बताते हैं कि रेस से बाहर का चेहरा संगठन ने तय कर दिया है. सूत्र यह भी बता रहे हैं कि जिलाध्यक्ष ग्रामीणों के पसंद का होगा और जमीनी स्तर में जिनका परिणाम बेहतर होगा. हाल में डीएमएफ समिति में बदलाव भी जिलाध्यक्ष को लेकर समीकरण बिठाने की ओर संकेत करते हैं.भाजपा संगठन के कदम को समझना यद्यपि टेढ़ी खीर है फिर भी कुछ इशारे से अनुमान लगाया जाता है.
भाजपा में जिलाध्यक्ष बनने के लिए चतुर उम्मीदवार खामोश हो गए हैं यह माना जाता है कि ज्यादा अप्रोच लगाने वाले जुगाडू किनारे कर दिए जाते हैं. उल्लेखनीय है कि चैतराम अटामी के विधायक बनने के बाद भाजपा में राजनीतिक हवा कुछ ठीक नहीं चल रही है दूसरी ओर आने वाले कुछ माह में निकाय और पंचायत के चुनाव भी है और जमीनी स्तर पर भाजपा कार्यकर्त्ता उदासीन है ऐसे में सभी को चार्ज करने ऐसा जिलाध्यक्ष जरूर चाहिए जिस पर कोई ठप्पा न लगा हो.जो सबको साथ लेकर चले.जो निर्विवाद हो और जो बगैर धनबल के भीड़ जुटाता हो,जो सर्व स्वीकार्य हो. और ऐसा चेहरा तलाशना कोई बड़ी बात भी नहीं. सो थोड़ा इंतजार का मजा लीजिये.