दंतेवाड़ा बीएसएनएल कार्यालय में महिला पत्रकार से अभद्रता: पहचान पत्र को बताया फर्जी, लोक सेवा गारंटी अधिनियम व पत्रकार सुरक्षा कानून के उल्लंघन का मामला… देखें वीडियों:-

दंतेवाड़ा (प्रभात क्रांति), दंतेवाड़ा जिले के बीएसएनएल कार्यालय में आज एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहाँ एक महिला पत्रकार के साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया गया बल्कि उनकी पत्रकारिता की पहचान पर भी सवाल उठाए गए। यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक असंवेदनशीलता को उजागर करती है बल्कि यह भी दिखाती है कि किस प्रकार कुछ कार्यालयों में जवाबदेही और पारदर्शिता का अभाव है।
घटना का विवरण:
महिला पत्रकार जब एक नई सिम खरीदने बीएसएनएल कार्यालय पहुंचीं, तो वहां मौजूद कर्मचारी ने उनसे ₹40 शुल्क मांगा। जबकि पूर्व में यह सिम निःशुल्क उपलब्ध होती थी। जब महिला ने शुल्क का कारण पूछा, तो उन्हें अंदर मौजूद अधिकारी से पूछने को कहा गया। अधिकारी ने न केवल इस सवाल का संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, बल्कि पत्रकार के परिचय पर संदेह करते हुए कहा, “इस आई-कार्ड में सरकार की मोहर नहीं है, यह फर्जी है। जब तक सरकारी मोहर वाला कार्ड नहीं दिखाओगी, हमसे कोई सवाल मत पूछो।”
इतना ही नहीं, अधिकारी ने उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया, जो कि न केवल महिला सम्मान बल्कि संविधानिक अधिकारों का भी हनन है।
कानूनी दृष्टिकोण से मामला गंभीर
1. लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2011 (छ.ग.) बीएसएनएल जैसी सार्वजनिक सेवा देने वाली संस्थाएं छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत आती हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत, कोई भी सेवा निर्धारित समय सीमा में देने की बाध्यता होती है। सेवा में अनावश्यक देरी, अभद्रता या मनमाना शुल्क इस अधिनियम का सीधा उल्लंघन है।
2. भारतीय दंड संहिता (IPC):
o धारा 504 – जानबूझकर अपमानित कर शांति भंग करने की नीयत से किया गया कृत्य।
o धारा 509 – किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला अपमानजनक व्यवहार।
o धारा 341 – रास्ता रोकना या किसी को गलत तरीके से रोकना।
3. पत्रकार सुरक्षा कानून (छत्तीसगढ़ राज्य): छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर विशिष्ट कानून लागू है। इस कानून के अंतर्गत, पत्रकारों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्रव्यवहार, धमकी या कार्य में बाधा डालना दंडनीय अपराध है।
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। किसी भी पत्रकार को प्रश्न पूछने और जानकारी मांगने का अधिकार है। इसे रोकना या दबाना न केवल असंवैधानिक है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन भी है।
“दंतेवाड़ा जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र में पत्रकारों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि ऐसे क्षेत्रों में पत्रकारों को ही अपमानित किया जाएगा, तो आम जनता की आवाज कौन उठाएगा?”
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