निजी भूमि में स्टेडियम निर्माण 2006 से न्याय के लिए भटक रहा पीड़ित परिवार, कमिश्नर न्यायालय के आदेश के बावजूद कलेक्टर की हठधर्मिता, दोरनापाल का राय परिवार 20 वर्षों से जमीन पाने की आस में

सुकमा(प्रभात क्रांति) । आम जनता न्याय पाने के लिए दर बदर भटकने को मजबूर हो तो ऐसे कानून से विश्वास उठना लाजिमी है। ऐसा ही एक मामला सुकमा जिले के दौरान में मिंटू पद राय और उसके परिवारजनों पर घटित हुआ है। मिंटू पद राय परिवार वर्ष 2006 से 2021 तक न्याय पाने के लिए तहसील कार्यालय में कमिश्नर कार्यालय तक न्याय पाने लंबी लडाई लड़ी और कमिश्नर का आदेश भी पारित हुई किंतु 2023 तक पीड़ित परिवार को कलेक्टर से न्याय नहीं मिल पाया।
दोरनापाल नगर पंचायत में 2006 में मिंटूपद राय के ग्राम दोरनापाल तहसील कोन्टा जिला सुकमा स्थित भूमि खसरा क्रमांक 118/3 रकबा 0.176, खसरा क्रमांक 124/294/2 रकबा 0.292 एकड़ में स्टेडियम का निर्माण किया गया है जिसके एवज में शासन के नियम अनुसार मुआवजा नहीं दिए । इस मामले में अपीलार्थी द्वारा कुछ मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन के समक्ष जनदर्शन के दौरान इस आशय का आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया कि उक्त भूमि पर शासन के द्वारा स्टेडियम निर्माण किया गया है, जिसके पूर्व उन्हें सूचना नहीं दी गई।
कमिश्नर ने अपने आदेश में कहा कि निर्माण हेतु सर्वप्रथम शासकीय अधिकारियों द्वारा स्थल का चयन किया जाना है, यदि उप चयनित स्थल में किसी प्राईवेट व्यक्ति के स्वामित्व को भूमि आती है तो उसे अधिग्रहण के माध्यम से अधिग्रहित की जाती हैं। यदि अधिग्रहण की कार्यवाही के दौरान कोई व्यक्ति जिसकी भूमि अधिग्रहित की जाने वाली है तो अपनी अधिग्रहित को जाने वाली जमीन के बदले अन्य जमीन या शासकीय जमीन बदली का आवेदन देकर अदला बदली करा सकता है।
कमिश्नर ने स्पष्ट रूप से कहा कि अपीलार्थी ने कलेक्टर सुकमा के समक्ष आवेदन पेश किया था तथा अनुविभागीय अधिकारी को दिनांक 22-11-2014 को तहसीलदार के प्रतिवेदन से सहमत होते हुए अनुशंसा के साथ प्रकरण कलेक्टर सुकमा को 10-04-2015 को प्रेषित किया उत्पक्षात कलेक्टर सुकमा ने दिनांक 26-09-2015 पुनः विस्तृत जांच हेतु अनुविभागीय अधिकारी कोल्दा को उस प्रकरण में विस्तृत जांच कार्यवाही करते हुए प्रकरण जो विवादित आदेश पारित किया है जो कि न्यायसंगत नहीं है। कमिश्नर ने आगे कहा कि तहसीलदार को अनुविभागीय अधिकारी कोंटा एवं कलेक्टर सुकमा न्यायालय ने इस मामले की सम्पूर्ण कार्यवाही दिनांक 15-09-2014 से शुरू होकर दिनांक 04-09-2019 अविलम्ब कार्यवाही की गई है जिससे यह स्पष्ट होता है कि राजस्व अधिकारियों को अपीलार्थी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के उद्देश्य से किया गया है।
कमिश्नर ने अपने आगे कि पत्र में लिखा कि कलेक्टर जिला सुकमा अपीलार्थी को जांच प्रतिवेदन के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है। अपीलार्थी का न्यायालयीन कथन दर्ज नहीं किया गया है और एक तरह का त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया है जो कि सही नहीं है। कमिश्नर ने कलेक्टर जिला सुकमा के आदेश को खारिज कर दिया । कमिश्नर ने सुकमा कलेक्टर को आदेशित करते हुए कहा कि अपीलाथी से ली गई निजी भूमि के बदले में उसे अदला बदली के तहत प्रस्तावित भूमि दी जाये।
कमिश्नर का आदेश दो वर्ष पूर्व फिर भी नतीजा सिफर
2021 में कमिश्नर ने कलेक्टर को आदेशित किया उसके बावजूद अभी 2025 प्रारंभ हो गया फिर भी मिंटूपद राय को जमीन आवंटित नहीं किया न ही कोई शासकीय प्रक्रिया के तहत् मुआवजा दिया गया जिससे सरासर कमिश्नर के आदेश की अवहेलना की गई।