अहंकार से देवी – देवताओं की पूजा किए तो अनुष्ठान नि:ष्फल होगा- तिवारी, परलोक सुधारना है तो करें देवी भागवत का श्रवण…

जगदलपुर(प्रभात क्रांति)। मां दंतेश्वरी दरबार में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के चौथे दिन पं. कृष्ण कुमार तिवारी कहते हैं कि हमारी इच्छाएं ही प्रतिफल का कारक है। जिस भावना से हम फल की कामना करते हैं और वह दृढ़ हो तो फल भी मनोवांछित होता है इसलिए अहंकार से देवी – देवताओं की पूजा अर्चना न करें। माता समस्त सृष्टि की जगतजननी है। मां से प्यार करें। उनकी आड़ में घमंड न करें। अनुष्ठान नि:ष्फल हो जाता है। साधारण स्त्री की तुलना माता से कभी न करें। माता कभी कुमाता नहीं होती। दुष्टों के लिए वह काली तो भक्तों के लिए अन्नपूर्णा हैं। अगर परलोक सुधारना है तो श्रीमद् देवी भागवत महापुराण का श्रवण करें। मां दंतेश्वरी मंदिर में दूसरी बार श्रीमद् देवी भागवत महापुराण आयोजित किया गया है। इस अनुष्ठान के दौरान शनिवार
को नवरात्रि महात्म, मां कुष्मांडा महात्म, महिषासुर वध, निशुंभ कथा और देवी कालिका उत्पत्ति का वर्णन आया। श्रोताओं को संबोधित करते हुए आचार्य कृष्ण कुमार तिवारी ने कहा कि जिस तरह गहने का मूल तत्व सोना है ठीक उसी तरह किसी भी देवता आराधना माताजी की ही आराधना है। परलोक सुधारने का ससक्त मार्ग देवी भागवत महापुराण का श्रवण है।
निकाली गई मां कुष्मांडा की पालकी
भागवत महापुराण अनुष्ठान के चौथे दिन की कथा विराम के बाद के मां दंतेश्वरी चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया। तत्पश्चात देवी के नौ रूपों में चौथे क्रम पर प्रतिष्ठित मां कुष्मांडा की पालकी निकाल गई। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। यह पालकी सिरहासार चौक से गोल बाजार, मिताली चौक, पैलेस रोड होते हुए दंतेश्वरी मंदिर पहुंची। तत्पश्चात माता की आरती बाद प्रसाद वितरण किया गया। बताते चलें कि दंतेश्वरी मंदिर में चल रहे श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के लिए पखनागुड़ा निवासी मूर्तिकार जीवराखन चक्रधारी ने मां दुर्गा की प्रतिमा भेंट की है। मंदिर परिसर में एक तरफ जहां मां दुर्गा प्रतिमा की नित्य पूजा- अर्चना हो रही है, वहीं दंतेवाड़ा में चल रहे फागुन मड़ई की तरह जगदलपुर में भी प्रतिदिन माता के 9 रूपों की क्रमबद्ध पालकी निकाली जा रही है। आज के अनुष्ठान
श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के तहत रविवार 9 मार्च को स्कंध माता महात्म, सूर्यवंशी राजाओं की कथा, सुकन्या कथा, राजा हरिश्चंद्र की कथा और मां शाकंभरी की कथा का वर्णन किया जाएगा। शाम सवा छह बजे स्कंधमाता को विराजित कर पांचवीं पालकी निकाली जाएगी।