सावधान मालगांव के अस्पताल में ईलाज से पहले हो जाईये सतर्क…ईलाज में बरती जा रही है कोताही….
जगदलपुर(प्रभात क्रांति), बस्तर जिला जगदलपुर के ग्रामीण क्षेत्र में स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र मालगांव जो सन् 1984 से सेवा देते आ रहा है यहां पूर्व में विभिन्न प्रकार के रोगों का ईलाज किया जा रहा था। परन्तु विगत दो वर्ष से इस मालगांव अस्पताल में लोग ईलाज कराने से कतरा रहे है तथा ईलाज अच्छे नही होने की बात कहकर अन्य जगह ईलाज करवाने को मजबूर है जिसका फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में बैठे झोला छाप डॉक्टर उठा रहे है जोेेेेेेेेेेेेेेेे ग्रामीणों का ईलाज कर अपना दुकान चला कर चांदी कट रहे है ।
विभिन्न बिमारियों के बेहतर ईलाज के लिए राज्य सरकार द्वारा यह अस्पताल खोला गया है परन्तु यहां डाक्टरों एवं स्वास्थ्य कर्मियों के अभाव से ईलाज में कोताही बरती जा रही है यहां लैब की व्यवस्था नही होने के कारण से मरीजो को और अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है साथ ही इस उप स्वास्थ्य केन्द्र में पूर्व से शौचालय की व्यवस्था नही है जिसकी मांग स्थानीय ग्रामीण एवं जनप्रतिनिधि करते आ रहे है, किन्तु बिना शौचालय का यह अस्पताल वर्षो से चलते आ रहा है ।
ज्ञात हो कि विगत दिवस पूर्व, मालगांव के रहवासी ने तबीयत खराब होने के कारण से उप स्वास्थ्य केन्द्र मालगांव में ईलाज हेतु गया था जिसे डॉक्टर द्वारा मलेरिया एवं सुगर की जांच के लिए लिखा गया उक्त जांच में मलेरिया तो नही निकला किन्तु सुगर 293 मिलीग्राम/ डीएल बताया गया तथा ईलाज करने की बात कहने पर सुगर कम होने के बाद ईलाज करने की बात कही गई । परन्तु रोगी को अचानक सुगर की बीमारी होने के कारण से वह मानसिक रूप से परशान था जिसके रोगी ने जगदलपुर स्थित हेमंत कुमार पैथालॉजी लैब में सुगर की जांच कराई गई तो सुगर नील निकला जिसके बाद उसने चैन की सांस ली ।
आपको बता दे कि वर्तमान में बस्तर जिला के कई ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पताल की स्थिति मालगांव में स्थित अस्पताल की तरह ही बनी हुई है जिसके कारण ग्रामीण सरकारी अस्पताल में ईलाज कराने को कतराते नजर आते है जिसका फायदा ग्रामीण क्षेत्रों में बैठे झोला छाप डॉक्टर इसका फायदा उठाते देखे जा सकतो है, सरकार को इस ओर अवश्य कदम उठाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों में डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी एवं लैब की पूर्ण व्यवस्था करनी चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासी को ईलाज के लिए दरबदर भटकना न पड़े ।