छत्तीसगढ़

40 साल बाद भी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, मालगांव अस्पताल से उठता ग्रामीणों का भरोसा, विभागीय अनदेखी से इलाज बना औपचारिकता….

जगदलपुर (प्रभात क्रांति) । छत्तीसगढ़ राज्य गठन को 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं और सरकार रजत जयंती के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर विकास का उत्सव मना रही है। केंद्र और राज्य सरकारें ग्रामीण विकास के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने के बड़े-बड़े दावे करती हैं, ताकि ग्रामीणों को समय पर बेहतर इलाज मिल सके और वे झोलाछाप डॉक्टरों या झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास से दूर रहें।

किन्तु जगदलपुर शहर से महज 08 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जनपद पंचायत बकावण्ड के ग्राम पंचायत मालगांव में लगभग 40 वर्ष पूर्व स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आज खुद इलाज का मोहताज बन चुका है। अस्पताल का उद्देश्य ग्रामीणों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना था, लेकिन समय के साथ यह केंद्र अपनी उपयोगिता और भरोसा दोनों खोता जा रहा है इस अस्पताल परिसर की स्थिति अत्यंत दयनीय है चारों ओर गंदगी और कूड़ा-करकट फैला रहता है, वहीं अस्पताल के आसपास ही मेडिकल वेस्ट जलाया जाता है, जिसका धुंआ आसपास के ग्रामीणों के घर पहुंचकर संक्रमण का खतरा बना रहता है।

छोटे-छोटे झाड़ियाँ इतनी बढ़ चुकी हैं कि अस्पताल का भवन उनमें छिपता नजर आता है। शौचालयों की हालत इतनी खराब है कि मरीजों की बात छोड़िए, महिला डॉक्टरों और कर्मचारियों को भी भारी परेशानी उठानी पड़ती है।

पूर्व में जहां इस अस्पताल में दो एमबीबीएस डॉक्टर पदस्थ थे, वहीं अब स्थिति यह है कि एक मात्र महिला डॉक्टर की नियुक्ति है, जो जगदलपुर शहर में निवासरत होने के कारण समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पातीं । स्वास्थ्य विभाग भले ही 24 घंटे सेवा का दावा करता हो, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यहां इलाज नहीं, केवल ड्यूटी निभाई जा रही है न पर्याप्त दवाइयां हैं, न जांच की सुविधाएं, और न ही गंभीर बीमारियों के उपचार की व्यवस्था।

ग्राम पंचायत के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ ग्रामीणों से चर्चा में यह तथ्य सामने आया कि अस्पताल अब केवल एक ”शो-पीस“ बनकर रह गया है यहां इलाज की उम्मीद लेकर आने वाले मरीज निराश लौटते हैं ।

इलाज समय पर न मिलने के कारण कई ग्रामीणों की मौत तक हो चुकी है, वहीं अनेक लोग मजबूरी में झोलाछाप डॉक्टरों और झाड़-फूंक का सहारा लेने लगे हैं, जो ग्रामीण समाज के लिए बेहद खतरनाक संकेत है ।

ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग केवल कागजी खानापूर्ति कर रहा है योग्य डॉक्टरों की नियुक्ति, संसाधनों की उपलब्धता और अस्पताल की नियमित निगरानी की ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा । यदि समय रहते इस अस्पताल की दशा नहीं सुधारी गई, तो भविष्य में हालात और भी भयावह हो सकते हैं।

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