छत्तीसगढ़

जनपद बकावण्ड के अधिकारी जिला प्रशासन पर विश्वास नही, जनपद पंचायत बकावण्ड में सूचना अधिकार की अनदेखी ! अपीलार्थी भटक रहे दर-दर…

जगदलपुर (प्रभात क्रांति) । बस्तर जिले के जनपद पंचायत बकावण्ड एक बार फिर चर्चाओं में हैें लेकिन इस बार किसी विकास कार्य को लेकर नहीं, बल्कि सूचना के अधिकार (RTI) की लगातार हो रही अनदेखी और अपीलार्थियों के साथ हो रहे अन्याय ।

सूत्रों के अनुसार, बकावण्ड जनपद पंचायत में वर्षों से जमे हुए कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा आरटीआई जैसे संवैधानिक अधिकार को लेकर लगातार लापरवाही बरती जा रही है । स्थिति इतनी गंभीर है कि सूचना मांगने वाले आवेदकों को समयसीमा में जवाब तो नहीं मिलता, जिला प्रशासन की अंदेखी करते हुए इनके द्वारा सीधे रायपुर स्थित राज्य सूचना को अपील करने हेतु आदेश दिया जाता है जिससेे अपीलार्थी को अपील करने के लिए मजबूर होना पड़ता है ।

सूचना मांगो तो डाक हो जाती है गुम

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अपीलार्थियों द्वारा जब ग्राम पंचायत में हुए कार्यों की सूचना डाक द्वारा मांगी जाती है, तो आवेदन तो कार्यालय में पहुँचता है, पर सचिवों के नियमित रूप से पंचायत भवन में अनुपस्थित रहने के कारण डाक इधर-उधर भटकती रहती है । नतीजतन, नियमानुसार 30 दिनों में सूचना न मिलने पर अपीलार्थी पहली अपील जनपद पंचायत बकावण्ड को करते हैं ।

लेकिन यहां भी हालात कुछ खास नहीं । जनसूचना अधिकारी द्वारा सचिवों को जवाबदेह तो बनाया जाता है, लेकिन बिना किसी पूर्व सूचना के अपीलार्थी को पेशी पर बुलाया जाता है और फिर एक आम जवाब दिया जाता है तथा मामला सुनवाई योग्य नहीं रहा कहकर, नस्तीबद्ध कर दिया जाता है आप दूसरी अपील जिला पंचायत में न लिखकर सीधा राज्य सूचना आयोग रायपुर को लिखने की सलाह दी जाती है तथा आर.टी.आई. संबंधी जानकारी मांगने पर टाल-मटोल जवाब दिया जाता है ।

अब तक योजनाओं के दस्तावेज पंचायत में सुरक्षित नहीं – रिकॉर्ड गायब !

बकावण्ड के कई ग्राम पंचायतों में यह भी पाया गया कि शासकीय योजनाआें जैसे मनरेगा, डीएमएफटी, स्वच्छ भारत मिशन आदि का संचालन तो खूब होता है, लेकिन उनके दस्तावेजों का कोई अता-पता नहीं होता। सूचना मांगने पर कार्यालय के पास कोई भी ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं रहता, जो प्रशासन की लापरवाही और कार्यसंस्कृति की पोल खोलता है ।

शौचालय निर्माण में 8.84 लाख रूपये की राशि खर्च, लेकिन बिल-बाउचर ‘‘नदारद’’

सबसे बड़ा मामला वर्ष 2021-22 का सामने आया है, जब डीएमएफटी और मनरेगा योजनाओं के अंतर्गत 8.84 लाख रुपये की राशि से शौचालय निर्माण कार्य किया गया था । अपीलार्थी ने इसका बिल-बाउचर, मास्टर रोल, मूल्यांकन रिपोर्ट, और बैंक स्टेटमेंट की सत्यापित प्रति मांगी थी, परंतु आज तक वह सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है तथा अपीलकर्ता को बिना पेशी में बुलाए रायपुर राज्य सूचना आयोग भेजने की सलाह दी जा रही है, जो जनपद की प्रशासनिक लाचारी को दर्शाता है ।

सूचना अधिकार की अनदेखी या जानबूझकर सूचना में पर्दा डाला जा रहा ?

बकावण्ड जनपद पंचायत की यह कार्यप्रणाली कहीं न कहीं यह सवाल खड़ा करती हैें क्या यह महज प्रशासनिक लापरवाही है, या किसी बड़े खेल पर पर्दा डाला जा रहा है ? जब तक जवाबदेही सुनिश्चित नहीं होती और दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था नहीं होती, तब तक त्ज्प् जैसा लोकतांत्रिक अधिकार महज एक कागजी औपचारिकता बनकर रह जाएगा ।

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