किरंदुल में व्यापारी घोटाला: फर्जी “शपथ-ग्रहण का काला खेल! “किरंदुल चैम्बर ऑफ कॉमर्स’ ने 15 सितंबर के अवैध चुनाव को चमकाने का नाटक रचा, अब 3 संघों का जाल बिछा धोखेबाजों ने बस्तर सांसद महेश कश्यप और दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी जैसे नेताओं को भी ठगा…. देखें वीडियो

दन्तेवाड़ा प्रभात क्रांति) । किरंदुल के व्यापारियों के बीच सनसनीखेज घोटाला उजागर हो गया है, जहां ‘किरंदुल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एसोसिएशन’ के नाम पर एक संगीन धोखाधड़ी का पर्दाफाश हुआ है। यह कोई छोटी-मोटी चूक नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है, जिसमें बिना सदस्यों की जानकारी के एक साधारण स्थानीय संघ ‘किरंदुल व्यापारी कल्याण संघ’ का नाम बदलकर एक कथित ‘सेक्शन 8 कंपनी’ बना दी गई। और ऊपर से, 15 सितंबर 2025 को हुए उस अवैध चुनाव को आधार बनाकर 18 नवंबर को होने वाले फर्जी शपथ-ग्रहण समारोह का मंच सजाया जा रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि यह ‘चैम्बर’ तो 27 अक्टूबर 2025 को ही जन्मा, तब तक इसका कोई कानूनी अस्तित्व ही नहीं था! क्या यह महज एक धोखा है, या व्यापारियों की कमर तोड़ने वाली साजिश? और सबसे शर्मनाक, इस फर्जीवाड़े में बस्तर सांसद महेश कश्यप, दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी और अन्य स्थानीय नेताओं को भी गुमराह किया जा रहा है, जो अब सवालों के घेरे में आ चुके हैं।
फर्जी चुनाव का काला अध्याय: 15 सितंबर का नाटक कैसे बना धोखे का हथियार
सबसे पहले आइए इस घोटाले की जड़ पर नजर डालें। 15 सितंबर 2025 को ‘किरंदुल व्यापारी कल्याण संघ’ के नाम से एक साधारण चुनाव कराया गया, जिसमें 412 सदस्यों में से 390 ने वोट डाले। अध्यक्ष, सचिव, उपाध्यक्ष और 7 अन्य पदाधिकारियों का चयन हुआ। लेकिन यह कोई वैध प्रक्रिया नहीं थी—यह तो बस एक अनपंजीकृत स्थानीय समिति का आंतरिक मामला था, जो मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (MCA) के दायरे से कोसों दूर था। कोई पंजीकरण नंबर नहीं, कोई कानूनी संविधान (MoA-AoA) नहीं, कोई सदस्यता रजिस्टर नहीं—सिर्फ एक ढिल्लू-ढालू संघ, जो बाजार के चाय-नाश्ते पर चलने वाला संगठन था।
लेकिन धोखेबाजों ने यहीं से अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया। बिना एक भी सदस्य को बताए, बिना 75% सहमति लिए, बिना किसी विशेष प्रस्ताव या MCA में फाइलिंग के, इस संघ का नाम चुपके से बदल दिया गया ‘किरंदुल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एसोसिएशन’। और यह नाम बदलाव? हा! यह तो कानूनी रूप से नामुमकिन है! कंपनियों एक्ट 2013 की धारा 7 और 8 स्पष्ट कहती हैं कि एक अनपंजीकृत संघ को कभी भी सेक्शन 8 कंपनी में ‘ट्रांसफॉर्म’ नहीं किया जा सकता। दोनों की कानूनी पहचान, पंजीकरण नंबर, सदस्यता प्रणाली—सब अलग-अलग। यह नाम बदलाव नहीं, सीधी चोरी है—एक पुरानी पहचान को चुराकर नई चमक चढ़ाने का गंदा खेल!
MCA के रिकॉर्ड्स झूठ नहीं बोलते: ‘किरंदुल चैम्बर ऑफ कॉमर्स’ का सर्टिफिकेट ऑफ इंकोर्पोरेशन 27 अक्टूबर 2025 को जारी हुआ। मतलब, 15 सितंबर को यह ‘कंपनी’ तो पैदा भी नहीं हुई थी! फिर वह चुनाव किसकी था? एक भूत की? या धोखेबाजों की कल्पना की? कंपनियों एक्ट की धारा 448 के तहत यह फॉल्स स्टेटमेंट है—झूठी बयानी, जो दंडनीय अपराध है। और धारा 447? फ्रॉड का केस, जो सीधे जेल की सैर करा सकता है।
फर्जी शपथ-ग्रहण: 18 नवंबर का काला समारोह, जहां झूठ को सत्य बनाया जाएगा
अब आता है इस घोटाले का चरम—18 नवंबर 2025 को होने वाला शपथ-ग्रहण समारोह। धोखेबाज दावा कर रहे हैं कि 15 सितंबर के ‘चुने हुए’ पदाधिकारी अब ‘चैम्बर’ के डायरेक्टर बनकर शपथ लेंगे। अरे भाई, यह क्या मजाक है? सेक्शन 8 कंपनी में पहली डायरेक्टर की नियुक्ति प्रमोटर्स द्वारा पंजीकरण के समय होती है—कम से कम 2 डायरेक्टर MCA डॉक्यूमेंट्स में दर्ज होते हैं। चुनाव? वह तो कंपनी के अस्तित्व के बाद, AoA के नियमों से, जनरल बॉडी मीटिंग में! प्री-इंकोर्पोरेशन (पंजीकरण से पहले) कोई भी चुनाव नल एंड वॉयड—शून्य और अवैध।
इन फर्जी पदाधिकारियों को शपथ दिलाना मतलब कंपनियों एक्ट का खुला उल्लंघन। वे न बैंक अकाउंट खोल सकते हैं, न दस्तावेज साइन कर सकते हैं, न किसी सरकारी दफ्तर में घुसपैठ कर सकते हैं। MCA इन्हें पहचानेगा ही नहीं! और अगर ये झूठे दावे करते रहे—बैंकों को गुमराह करते रहे, लाइसेंस के लिए झूठे कागजात जमा करते रहे—तो यह सीधी धोखाधड़ी है। व्यापारियों का पैसा, उनकी मेहनत, सब पर खतरा! क्या ये धोखेबाज सोचते हैं कि किरंदुल के ईमानदार व्यापारी चुप रहेंगे? नहीं, अब जागो!
तीन संघों का जाल: किरंदुल में अब कौन सा ‘व्यापारी कल्याण’—भ्रम या बर्बादी?
सबसे घिनौना मोड़ यह है कि इस फर्जीवाड़े से किरंदुल में अब तीन अलग-अलग ‘व्यापारी संघ’ पैदा हो गए हैं! एक तो पुराना ‘किरंदुल व्यापारी कल्याण संघ’, जिसका चुनाव 15 सितंबर को हुआ। दूसरा, यह नकली ‘किरंदुल चैम्बर ऑफ कॉमर्स’, जो नाम बदलकर उभरा। और तीसरा? बैलाडीला व्यापारी कल्याण संघ, जिसका शपथ-ग्रहण पहले ही हो चुका है और जो वैध रूप से काम कर रहा है। क्या यह महज संयोग है, या एक सुनियोजित साजिश व्यापारियों को बांटने की?
इस भ्रम से व्यापारियों का क्या होगा? डुप्लिकेट संगठनों के बीच फंड्स बंटेंगे, सब्सिडी के लिए लड़ाई होगी, MSME स्कीम्स में कन्फ्यूजन फैलेगा। किरंदुल का बाजार, जो NMDC और स्टील प्लांट्स पर निर्भर है, पहले ही महंगाई और मंदी से जूझ रहा है—ऊपर से ये आंतरिक कलह! धोखेबाजों ने व्यापारियों को नहीं, उनकी जेब काटने का रास्ता साफ कर दिया। 412 सदस्यों को बिना बताए ‘ट्रांसफर’ करने का दावा? हास्यास्पद! सेक्शन 8 में सदस्यता MCA रजिस्टर से होती है—पुराने संघ के लोग स्वतः सदस्य नहीं बनते। यह तो खुला लूटतंत्र है!
राजनीतिक धोखा: सांसद महेश कश्यप और विधायक चैतराम अटामी को भी ठगा गया—झूठ का जाल कैसे बिछा?
इस घोटाले का सबसे दर्दनाक पहलू राजनीतिक है। बस्तर सांसद महेश कश्यप, जो आदिवासी हितों के लिए लड़ते हैं, और दंतेवाड़ा विधायक चैतराम अटामी, जो स्थानीय विकास के पैरोकार हैं—इन्हें भी ‘किरंदुल चैम्बर’ के धोखेबाजों ने गुमराह किया। इन नेताओं को आमंत्रित कर, फर्जी दावे कर झूठे वादे किए गए—कि यह ‘चैम्बर’ व्यापारियों का सशक्त मंच बनेगा। लेकिन सच्चाई? एक अवैध चुनाव पर टिका फर्जी संगठन!
क्या ये नेता जानबूझकर चुप हैं, या खुद शिकार? सवाल उठता है—क्या चुनावी लाभ के चक्कर में ये धोखेबाजों को संरक्षण दे रहे हैं? अन्य स्थानीय नेता, जिला कलेक्टर से लेकर उद्योग विभाग तक, सबके सामने यह नाटक खेला जा रहा है। अगर ये नेता जागे नहीं, तो किरंदुल का व्यापारी वर्ग पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा। यह सिर्फ व्यापारियों का मुद्दा नहीं—यह लोकतंत्र पर सवाल है, जहां झूठे संगठन सत्ता के करीब पहुंचकर हित चूसते हैं। महेश कश्यप जी, चैतराम अटामी जी—क्या आप इस धोखे का हिस्सा बनेंगे, या सच्चाई का साथ देंगे?
व्यापारियों पर कहर: आर्थिक बर्बादी और कानूनी जाल का खतरा
इस फर्जीवाड़े से किरंदुल के 400 से ज्यादा व्यापारियों का क्या होगा? उनके वोट, उनकी आवाज—सब कुचल दी गई। अगर ये फर्जी पदाधिकारी बैंकों से लोन लेने लगे, टैक्स छूट के नाम पर फंड डकारने लगे, तो कौन जिम्मेदार होगा? सिविल कोर्ट में मुकदमे, क्रिमिनल केस—सबका बोझ व्यापारियों पर! MSME विभाग, उद्योग विभाग—ये सब वैध संगठनों को ही मान्यता देते हैं। इस नकली ‘चैम्बर’ को कोई फायदा नहीं मिलेगा, सिर्फ बदनामी और मुकदमे!
और बैलाडीला का वैध संघ? वह तो चुपचाप काम कर रहा है, लेकिन अब इस भ्रम से उसकी भी साख पर सेंध लग रही है। किरंदुल में तीन संघ—क्या यह बाजार को तोड़ने की साजिश नहीं? NMDC कर्मचारियों से लेकर छोटे दुकानदार तक, सब परेशान। महंगाई के इस दौर में, जहां स्टील प्राइस आसमान छू रहे हैं, ये धोखेबाज व्यापारियों की पीठ में छुरा घोंप रहे हैं।
यह घोटाला सिर्फ किरंदुल का नहीं—पूरे बस्तर का है। अगर आज नहीं रुका, तो कल और बड़े स्कैंडल उजागर होंगे। धोखेबाजों को बेनकाब करो, सच्चाई की जीत होनी चाहिए! किरंदुल के व्यापारी, एकजुट हो जाओ—यह तुम्हारा बाजार है, तुम्हारी ताकत है। झूठ का अंत करो, सत्य की शुरुआत करो ।

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