छत्तीसगढ़

जंगलों के संरक्षण व पुनर्स्थापना हेतु एक दिवसीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन, बस्तर के विशेषज्ञों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव…

जगदलपुर (प्रभात क्रांति)। छत्तीसगढ़ शासन के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ पारिस्थितिक पुनर्स्थापना नीति निर्माण के उद्देश्य से बस्तर जिले के वन विद्यालय परिसर, जगदलपुर में एक दिवसीय क्षेत्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में श्री पांडे उपस्थित रहे ।

कार्यशाला में क्षेत्र के वरिष्ठ जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, अधिवक्ता, मानवाधिकार आयोग के सदस्य, मीडिया प्रतिनिधि तथा वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण व पुनर्स्थापना संबंधी विभिन्न मुद्दों पर गंभीर विचार-विमर्श किया गया ।

वरिष्ठ पत्रकार हेमंत कश्यप ने सुझाव दिया कि जंगलों का नामकरण वहां के प्रमुख वृक्ष प्रजातियों के आधार पर किया जाए। साथ ही उन्होंने गोठान योजनाओं को पुनः सक्रिय कर उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता पर बल दिया ।

कार्यक्रम में उपस्थित समाजसेवी सम्पत झा ने बस्तर जिले में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपये के पौधरोपण के बावजूद उनका संरक्षण नहीं हो पाने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पौधों का उचित रख-रखाव और संरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

वहीं, अर्जुन नाग ने बस्तर क्षेत्र में अवैध वनों की कटाई पर रोक लगाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि वन अधिकार अधिनियम के तहत आबंटित भूमि पर फलदार वृक्षों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ की जा सकती है । वही सरगी वृक्ष के रख-रखाव हेतु विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है ।

वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कार्यशाला में प्रस्तुत सुझावों और सवालों का उत्तर देते हुए यह आश्वासन दिया गया कि दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों पर गहन विचार कर आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे ।

विभिन्न विचारों और सुझावों के आदान-प्रदान के साथ यह एक दिवसीय क्षेत्रीय परामर्श कार्यशाला सफलतापूर्वक संपन्न हुई ।

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