छत्तीसगढ़ में सुशासन तिहार के बीच चावल का अवैध व्यापार: जिला खाद्य विभाग की नाक के नीचे कोचियों का खेल…

दन्तेवाड़ा(प्रभात क्रांति), छत्तीसगढ़ में राज्य सुशासन तिहार के आयोजन के बीच एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है, जो जिला खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है। सूत्रों के अनुसार, दंतेवाड़ा जिले के बचेली क्षेत्र में कोचियों के माध्यम से बड़े पैमाने पर चावल का अवैध व्यापार फल-फूल रहा है। यह गैरकानूनी गतिविधि न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को कमजोर कर रही है, बल्कि गरीबों के हक को भी छीन रही है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब जिला खाद्य विभाग की नाक के नीचे हो रहा है, और विभाग की निष्क्रियता इस काले कारोबार को और बढ़ावा दे रही है।
अवैध व्यापार का जाल: घर-घर से चावल की खरीद
जानकारी के मुताबिक, कोचिए स्थानीय स्तर पर घर-घर जाकर PDS के तहत वितरित किए गए सोसाइटी के चावल को सस्ते दामों पर खरीद रहे हैं। ये चावल, जो गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाते हैं, कोचियों द्वारा अवैध रूप से इकट्ठा किया जा रहा है। इसके बाद, यह चावल अंतरराज्यीय तस्करी के लिए तैयार किया जाता है। सूत्रों का दावा है कि इस गैरकानूनी व्यापार में वाहन नंबर OD30-D 5101 का उपयोग हो रहा है, जो बचेली से दंतेवाड़ा मार्ग या नकुलनार सड़क के रास्ते चावल को अन्य राज्यों में ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
जिला खाद्य विभाग की चुप्पी
सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहा यह अवैध व्यापार जिला खाद्य विभाग की जानकारी में क्यों नहीं है? या फिर विभाग की मिलीभगत से यह काला कारोबार संचालित हो रहा है? स्थानीय लोगों का आरोप है कि खाद्य विभाग के अधिकारियों को इस गतिविधि की पूरी जानकारी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही। एक स्थानीय निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “कोचिए खुले आम गांवों में घूमकर चावल इकट्ठा करते हैं। ट्रक और वाहन रात के अंधेरे में चावल लेकर निकलते हैं, लेकिन खाद्य विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं।”
सुशासन तिहार पर सवाल
राज्य सरकार द्वारा सुशासन तिहार का आयोजन प्रशासनिक पारदर्शिता और जनकल्याण को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। लेकिन इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियां सुशासन के दावों पर सवाल खड़े करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि PDS चावल का अवैध व्यापार न केवल सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि खाद्य सुरक्षा योजना के मूल उद्देश्य को भी विफल करता है। यह गरीब परिवारों के लिए निर्धारित खाद्यान्न को काला बाजार में पहुंचाकर उनकी आजीविका पर सीधा हमला है।
अंतरराज्यीय तस्करी का खतरा
चावल की तस्करी का यह नेटवर्क केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है। माना जा रहा है कि बचेली और दंतेवाड़ा से एकत्रित चावल को पड़ोसी राज्यों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। नकुलनार सड़क और दंतेवाड़ा मार्ग जैसे रास्तों का उपयोग इस तस्करी को आसान बना रहा है। वाहन नंबर OD30-D 5101 की संलिप्तता की जांच की मांग अब जोर पकड़ रही है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से इस वाहन की गतिविधियों पर नजर रखने और इसके मालिकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस अवैध व्यापार ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। कई ग्रामीणों का कहना है कि PDS के तहत मिलने वाला चावल उनकी जीविका का अहम हिस्सा है, लेकिन कोचियों के दबाव में कई परिवार इसे बेचने को मजबूर हैं। एक ग्रामीण महिला ने बताया, “हमें चावल के बदले कुछ पैसे मिलते हैं, लेकिन बाद में हमें बाजार से महंगा चावल खरीदना पड़ता है। यह हमारे लिए नुकसान का सौदा है।” ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और खाद्य विभाग से इस समस्या का तत्काल समाधान करने की मांग की है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार और जिला प्रशासन को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी नेता ने कहा, “सुशासन तिहार के नाम पर जनता को गुमराह किया जा रहा है। अगर खाद्य विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकता, तो सरकार को इसकी जवाबदेही तय करनी चाहिए।” उन्होंने इस अवैध व्यापार की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है, ताकि दोषियों को सजा दी जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।