छत्तीसगढ़

‘’बस्तर पंडुम‘’2025, जिला स्तरीय ‘’बस्तर पंडुम‘’ का विधिवत हुआ शुभारंभ, बस्तर सांस्कृतिक खुशबु को देश-दुनिया तक पहुंचाने सफल प्रयास‘’ बस्तर पंडुम‘’- देखें विडियोे

दंतेवाड़ा(प्रभात क्रांति)। ‘’बस्तर पण्डुम‘’2025 के तहत जिला स्तरीय कार्यक्रम का शनिवार को मां दंतेश्वरी मंदिर परिसर स्थित स्थानीय मेंढका डोबरा में विधिवत शुभारंभ हुआ। राज्य शासन के कृषि और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विकास मंत्री रामविचार नेताम ने ‘’बस्तर पण्डुम‘’2025 का उद्घाटन करते हुए समूचे जिले के प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। इस दौरान दंतेवाड़ा जिले के सभी चारों ब्लॉक के प्रतिभागियों ने जिला स्तरीय ‘’बस्तर पण्डुम‘’ में उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस दौरान अतिथियों ने सभी विकासखण्डों के द्वारा लगाए गए स्टॉलों का भी अवलोकन कर जनजातीय आभूषण, शिल्प कला, स्थानीय पेय पदार्थों एवं व्यंजन इत्यादि को बारीकी से देखा और जानकारी ली।

इस अवसर पर कृषि मंत्री नेताम ने शुभारंभ समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिले के प्रतिभागी इतनी बड़ी संख्या में बस्तर पंडुम के इस आयोजन के सहभागी बने हैं। वर्तमान समय में भावी पीढ़ी अपनी संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज से दूर होती जा रही है, इसलिए हम सबका कर्तव्य है कि बस्तर की समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करना है। बस्तर की सांस्कृतिक खुशबु को देश-दुनिया तक पहुंचाना है। यहां की तीज-तिहार अलग-अलग कलाओं एवं रीति-रिवाज को पहचान देने के लिए हमारे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में ‘’बस्तर पंडुम‘’ का आयोजन किया जा रहा है। मंत्री नेताम ने प्रतिभागियों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन स्थानीय संस्कृति और प्रतिभाओं को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण माध्यम है।

इस आयोजन से बस्तर की पारंपरिक विरासत, परंपरा, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि सरकार बस्तर के अंदरूनी इलाके के युवाओं को समाज की मुख्यधारा में शामिल कर विकास में सहभागी बनाने के लिए हर संभव पहल कर रही है। यही वजह है कि बस्तर के हर क्षेत्र में विकास की धारा पहुंच रही है और आने वाले दिनों में बस्तर के चहुंओर शांति और विकास की बयार बहेगी।

बस्तर की संस्कृति को संजोने के लिए विभिन्न कलाकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है। बस्तर पंडुम और बस्तर ओलंपिक कराने का मूल उद्देश्य यहां के युवा माओवाद से मुक्त होकर मुख्यधारा में जुड़ें तथा हमारे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की मंशानुरूप बस्तर को मार्च 2026 तक माओवाद समस्या मुक्त कर बस्तर को शांति का टापू बनाएंगे।

‘‘बस्तर पंडुम’‘में जिला पंचायत अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी ने कहा कि यह महोत्सव हमारी परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का अवसर है। उन्होंने आदिवासी समाज की समृद्ध संस्कृति, लोककला और परंपराओं को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और बस्तर की अनूठी पहचान को आगे बढ़ाएं।‘’बस्तर पंडुम’‘ बस्तर की संस्कृति, लोकनृत्य, परम्परा, हाट बाजार और आदिवासी समाज की जीवनशैली को दर्शाने वाला एक प्रमुख आयोजन है।

इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष अरविन्द कुंजाम, क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधियों सहित इलाके के 18 सर्व समाज प्रमुख और कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी, पुलिस अधीक्षक गौरव राय, डीएफओ सागर जाधव, जिला पंचायत सीईओ जयंत नाहटा, अपर कलेक्टर राजेश पात्रे, एडिशनल एसपी आरके बर्मन तथा बड़ी संख्या में ग्रामीणजन व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

उपमुख्यमंत्री शर्मा एवं कृषि मंत्री नेताम ने दंतेवाड़ा में संभागीय स्तरीय ‘‘बस्तर पंडुम‘‘ 2025 की तैयारियों का लिया जायजा

दंतेवाड़ा जिले के एक दिवसीय दंतेवाड़ा प्रवास पर पहुंचे उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा एवं आदिम जाति विकास मंत्री रामविचार नेताम ने आज दंतेवाड़ा पहुंचकर बस्तर पंडुम 2025 बस्तर का उत्सव के संभाग स्तरीय कार्यक्रम के स्थल का निरीक्षण किया। यह भव्य आयोजन 1 से 3 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया जाएगा, जिसमें बस्तर संभाग के जनजातीय कलाकार अपनी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करेंगे।

निरीक्षण के दौरान उपमुख्यमंत्री शर्मा ने आयोजन स्थल की व्यवस्थाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रूपरेखा, प्रतिभागी दलों की सुविधाओं तथा सुरक्षा व्यवस्था की बारीकी से जांच की। उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि बस्तर पंडुम 2025 बस्तर की जनजातीय कला और संस्कृति को पहचान दिलाने का एक ऐतिहासिक अवसर है।

उन्होंने इस उत्सव के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य सरकार बस्तर की जनजातीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस आयोजन से जनजातीय कलाकारों और शिल्पकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का सशक्त मंच मिलेगा। बस्तर पंडुम 2025 में जनजातीय नृत्य, लोकगीत, नाट्य, वाद्ययंत्र, वेशभूषा, गोदना, पारंपरिक व्यंजन और रीति-रिवाजों का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा।

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