छत्तीसगढ़

दीवारों में दरारें उखड़ा फर्श जगह-जगह गड्डे , बदबूदार शौचालय , ख़राब होने के कगार में अंकुरित आलू खाने को मजबूर छात्र , जवाबदेह नुमाइंदों को सुध लेने की फुर्सत नहीं…

बीजापुर(प्रभात क्रांति) जर्जर भवन के छत के नीचे वर्षों से संचालित कैका बालक आश्रम भवन के दीवारों में पड़े दरारें आश्रम में अध्ययनरत बच्चों को चैन से नींद लेने के लिए साफ-सुथरा जगह भी नसीब नहीं है । दीवारों के दरारों में सांप बिच्छू डेरा जमाएं रहने का डर बना हुआ है । रात अंधेरे कभी भी बच्चों के सर पर अनहोनी का खतरा मंडरा रहा है । मुंह चिढ़ा रहा शिक्षा विभाग किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है ।

दीवारों में पड़े दरारों को छिपाने के लिए कई बार भवन का रंगाई-पुताई कराई गई बावजूद हालात छिपाए नहीं छिप रही है । सलाना सरकार शिक्षा के क्षेत्र में करोड़ों रुपए पानी की तरह खर्च करता है बावजूद बच्चों के लिए सुविधाएं मयस्सर नहीं है । शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा विभाग बच्चों के लिए सुविधाएं मुहैय्या कराने में कितना संजीदा हैं इसी से समझा जा सकता है । बच्चों के शयनकक्ष का उखड़ा फर्श बने बड़े-बड़े गड्डे तस्वीरों में साफ देखा जा सकता हैं । बच्चों के लिए पौष्टिक आहार के रुप में दी जाने वाली सब्जी में ख़राब होने के कगार में पड़े अंकुरित आलू मेश रुम रखे थें । कद्दू प्याज टमाटर बैंगन भी रखें हुए थें । दाल लहसुन चिवड़ा और अन्य हरी सब्जियां नजर नहीं आए । इस संदर्भ में अधीक्षिका से जानने के लिए फोन किया गया पर फोन रिसीव नहीं किया गया ।

शिक्षा के क्षेत्र में आश्रम की दशा और दिशा सुधारने की सरकारी दावे एवं भाजपा की सुशासन का नारा केवल कागजों में ही रेंग रहा है । इसकी बानगी मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित में नैमेड में संचालित कैका बालक आश्रम के जर्जर दीवारें और शयनकक्ष का उखड़ा फर्श का शिक्षा विभाग का पोल खोल रही है । आज के दौर में गाय बकरी मवेशियों का पालन पोषण करने वाले लोग मवेशियों को साफ-सुथरा जगह में रखते हैं । लेकिन आश्रम में पढ़ाई-लिखाई करने वाले बच्चों का हाल-बेहाल है । देश का भविष्य कहें जाने वाले बच्चे जर्जर भवन के छत के नीचे कैसे भविष्य गढ़ रहें हैं । इस नजारा को देखकर हर कोई सन्न रहे जायेगा पर विभाग को इसकी कोई फिक्र नहीं है । गर्मी के दिनों में जैसा तैसा चल जाता है लेकिन बरसात के दिनों में बच्चों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । आश्रम के शौचालयों का नियमित साफ-सफाई नहीं होने से शौचालय से आश्रम परिसर में फैलती दुर्गंध से परेशान नन्हे-मुन्ने बच्चों का और आश्रम में फैली अव्यवस्था का सुध लेने की फुर्सत किसी के पास नहीं है । शिक्षा विभाग मस्त बच्चे त्रस्त सुविधाएं ध्वस्त । कोई अनहोनी होने से कौन होगा जिम्मेदार । बच्चे मजबूरी में यही शौचालय का उपयोग करने के लिए विवश है ।

शौचालय का फोटो

इसके अलावा बच्चों के पास शौच करने के लिए दूसरा कोई और विकल्प भी नहीं है । बता दें कि शिक्षा के क्षेत्र में मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना से इस तरह के आश्रम छात्रावासों का जिलें में मरम्मत के नाम से करोड़ों रुपए भ्रष्टाचार में फुंकने की खबरों से सुर्खियों में बना आरोपों से गिरा शिक्षा विभाग एक बार फिर सवालों के कटघरे में खड़ा हैं । स्कूल जतन योजना से इस आश्रम के दीवारें और फर्श में नहीं चढ़ा सहानुभूति का परत । शिक्षा विभाग कैका बालक आश्रम का मरम्मत करने का कोई जहमत उठा रहा है और न ही खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय से बाहर निकलकर आश्रम में पढ़ाई करने वाले नन्हे-मुन्ने बच्चों का और आश्रम की व्यवस्था का दुरुस्त करने के लिए किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दें रहें है। आश्रम की दहनीय व्यवस्था शौचालयों का गंदगी देखकर हर किसी को ठेस लगेगा और इस बात से तकलीफ होगा बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं के नाम पर आश्रम में महज खानापूर्ति है ।

खंड शिक्षा अधिकारी माॅनिटरिंग में जाते भी हैं तो फॉर्मेलिटी निभाकर मुख्यालय पहुंच जाते हैं । सबकुछ जानते हुए भी उदासीन रवैया अपनाया हुआ है। जबकि बच्चों की पढ़ाई लिखाई करने वाले सरकारी शिक्षा संस्थाओं का बेहतर ढंग से विकसित करना चाहिए लेकिन आश्रम की सुविधाएं और अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने जिम्मेदारी जिनके कंधों में है उनके द्वारा कोई पहल नहीं किया जा रहा हैं । जिसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है‌ ।‌

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button