छत्तीसगढ़

क्या 15 वर्ष पूर्व करोड़ों की लागत से बना हाट बाजार कभी हो पाएगा गुलज़ार,क्या पशु वध स्थल की विकराल समस्या से जनता को मिल पाएगी निजात… देखें वीडियो 

दंतेवाड़ा(प्रभात क्रांति), नगर के वर्तमान बाजार का पशु वध स्थल व वहां फैली दुर्गंध तो सम्पूर्ण जिले की सबसे निकृष्ट जगह में शुमार हो चुका है,मटन चिकन व्यवसायियों द्वारा फेंका गया पशुओं का वेस्ट और चर्म बामुश्किल 20 गज की दूरी पर पड़ा अपनी दुर्गंध से पूरे श्रेत्र में कहर ढा रहा है,स्थानीय निकाय ने जनता और वार्ड पार्षद की शिकायत पर कई बार मटन, चिकन व्यवसायियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया किन्तु परिणाम सिफर ही रहा उक्त व्यवसाई इतने निर्भीक और ढीठ हो चुके हैं कि बार बार वेस्ट को स्थल पर ही फेंक देने की अपनी पुरानी शैली पर ही उतारू हो जाते हैं, अब यक्ष प्रश्न यह है कि क्या स्थानीय प्रशासन इनके सामने विवश हो चुका है क्या कानून अब इन पर अंकुश लगाने में असमर्थ हो गया है, स्थिति इतनी भयावह हो चली है कि कभी भी महामारी का रूप धारण कर सकती है ।

यहां यह गौरतलब है कि उक्त स्थल के 50 गज की दूरी पर ही महाकाल का मंदिर स्थित है एवम उक्त मंदिर के संचालक मंडल ने भी व्यापारियों के इस कृत्य का कड़ा विरोध किया गया है सनातनी संगठन ने भी मंदिर के निकट फैलाई गई इस गंदगी पर संज्ञान लिया है,और स्थिति कभी भी विस्फोटक हो सकती है,प्रशासन ने यदि उक्त विषय पर यदि अब भी कड़ा रुख नहीं अपनाया तो निश्चित ही परिणाम गंभीर होंगे,यहां इस तथ्य का जिक्र करना भी आवश्यक है कि नगर के बंगाली कैंप में 20 लाख की लागत से मटन चिकन मार्केट विगत 12 वर्ष पूर्व नगर पालिका परिषद द्वारा सुरक्षित व निर्विवाद स्थल पर निर्मित किया गया था,जहां इन मटन चिकन व्यवसायियों को स्थानांतरित करने में निकाय अब तक विफल साबित हुआ है और यह नाकामी नगर पर भारी पड़ने वाली है।

किरंदुल हाट बाजार एक विचारणीय व ज्वलंत मुद्दा है जनता के करोड़ों रूपए खर्च कर बनवाया गया था जनहित में सारी मूल भूत सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं सड़क का चौड़ीकरण किया गया,महिला और पुरुष प्रसाधन का निर्माण,पानी की सुविधा के साथ साफ सफाई के लिए भी भी स्थाई व्यस्था तत्कालीन निकाय प्रमुख द्वारा प्रदाय की गई थी,शासन प्रशासन के अथक प्रयास व समझाइश के बाद लगने वाले चारों बाजार को सफलता पूर्व शिफ्ट भी कर दिया गया था ।

 

किन्तु मुहीम में जुड़े अधिकारियों के हटने और तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष के दोहरे रवैए के चलते पुनः अपने पूर्व स्थान पर स्थापित हो गया और हाट बाजार को गुलजार करने व जनता को एक अच्छा विकल्प देने की सारी कवायद धरी की धरी रह गई यह दुर्भाग्य जनक ही है कि जनता के करोड़ों रूपए की लागत से बना हाट बाजार एक वीरान बदबूदार स्थान में तब्दील हो चुका है अब वह मदिरा प्रेमियों और पशुओं की आरामगाह में तब्दील होकर बड़ी हसरत से अपने जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है,क्या वर्तमान में विजेता अध्यक्ष और परिषद उसकी इस चीर प्रतीक्षित हसरत को पूरा कर इस हाट बाजार को आबाद कर जनता को उसका हक दिलवा पाएंगे क्या वर्तमान में मौजूद बाजार के इर्द गिर्द मंडरा रहे खतरों से जनता को निजात मिल पाएगी क्या जनता के पैसों से बने इस हाट बाजार को पुनः स्थापित कर जनता को न्याय दिलाने में स्थानीय प्रशासन सफल हो पाएगा यह सभी प्रश्न वर्तमान में भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है।

देखें वीडियो :- 

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