छत्तीसगढ़

गरीब परिवारों के लिए मुसीबत बन रहा खाद्य विभाग का इलेक्ट्रानिक मशीन….

जगदलपुर(प्रभात क्रांति), बस्तर जिला अपितु पूरे छत्तीसगढ़ में प्रत्येक गरीब परिवारों को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा खाद्य सामग्री का वितरण करते आ रहा है, जिसमें मुख्य रूप से चांवल, शक्कर, गुड़, नमक एवं अन्य सामग्री का वितरण कई वर्षो से करते आ रहे है ।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने गरीब परिवारों की बुनियादी सुविधा को देखते हुए छत्तीसगढ़ में 2-3 प्रति रूपये किलो चांवल बाटने का शुरू किया बस यही से रमन सिंह का नया नाम चांउर वाले बाबा पड़ा, रमन सिंह के कार्यकाल में गरीब परिवारों को प्रमुख रूप से ऑफलाईन राशन सामग्री वितरण किया जाता था जिससे परिवारों को समय पर राशन मिल जाया करता था ।

तद्पश्चात छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना को निरंतर जारी रखा और कोरोना काल में भी यह योजना गरीब परिवारों के लिए एक अहम भूमिका निभाई । किन्तु राशन दुकानों में हो रहे चांवल की हेरा-फेरी को देखते हुए राज्य सरकार ने अहम फैसला करते हुए एक इलेक्ट्रानिक मशीन का संचालन किया गया, जिसका संचालन सभी राशन दुकानों में आज भी जारी है, जिसमें प्रत्येक परिवार के सदस्यों को इस मशीन से आधार कार्ड का लिंक किया गया और नियम के अनुरूप राशन कार्ड में दर्ज परिवार के एक सदस्य का अंगुठा लगाकर राशन लिये जाने का नियम बनाया गया जिससे इस योजना से राशन की हो रही हेरा-फेरी में कमी तो पाया गया ।

किन्तु गरीब परिवारों को यह योजना जी-का जंजाल बन गया यह मशीन इंटनरेट के सहायता से चलने के कारण बस्तर संभाग के अंदुरूनी क्षेत्रों में कई बार सरवर डाऊन होने के कारण लोगों को राशन नही मिल पा रहा एवं बुजुर्ग एवं कामकाजी महिलाओं का अंगुठा यह मशीन स्केन नही कर पा रहा जिसके कारण लोगों को राशन दुकानों का इर्द-गिर्द चक्कर काटने को मजबूर है ।
वही इस संबंध में सेल्स मेन का कहना है कि विभागीय आदेश यह है कि जब तक कार्ड हितग्राही परिवार का एक भी सदस्य मशीन में अंगुठा लगाकर सत्यापन नही करता तब तक राशन देना प्रतिबंध है और इसी तरह से राशन का वितरण किया जा रहा है ।
परन्तु इस प्रक्रिया से गरीब हितग्राही लाभ से वंचित होने को मजबूर है वही इस योजना के तहत प्रत्येक राशन कार्ड धारी को 35 किलो चावल, दो किलो चना, एक किलो शक्कर एवं गुड इत्यादि सामग्री दिया जाता है । किन्तु इस इलेक्ट्रानिक मशीन के चलते हितग्राहियों को कई बार राशन दुकान का चक्कर काटना पड़ रहा है ।

देखने वाली बात यह है कि यह मशीन का आये दिन सर्वर डाऊन देखने को मिलता है बस्तर जैसे दुरस्त क्षेत्र में आज भी इंटरनेट से कई लोग वंचित है और इस तरह यह मशीन इंटरनेट नही होने के कारण से हितग्राहियों को राशन दुकान का चक्कर काटने को मजबूर है । अगर आगामी समय मंे यह प्रक्रिया को सुलभ नही किया गया तो भवष्यि में इसका परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ सकता है । इस ओर न विभागीय अधिकारी न ही जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहे है यह परेशानी राशन दुकान में चक्कर काटने वाले ही स्वंय जान रहे है । परन्तु इस समस्या का हल निकालने में सभी अधिकारी असमर्थ है ।

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