छत्तीसगढ़

दन्तेवाड़ा सायबर सेल के सायबर संगवारी टीम के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया गया….

दंतेवाड़ा, आज के डिजिटल युग में इंटरनेट और तकनीकी उपकरणों का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही साइबर अपराध की घटनायें बढ़ रही है। साइबर ठगों के द्वारा साइबर ठगी करने के नये-नये तरीके अपनाये जा रहे हैं। आज कल साइबर ठगों के द्वारा “डिजिटल अरेस्ट” नामक तरीके का उपयोग कर रहे हैं!सायबर अपराध की रोकथाम हेतु पुलिस अधीक्षक दन्तेवाड़ा गौरव राय (भा.पु.से.), अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्मृतिक राजनाला (भा.पु.से.) अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामकुमार बर्मन के मार्गदर्शन में जिला दन्तेवाड़ा सायबर सेल के सायबर संगवारी टीम के माध्यम से जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत् क्षेत्र की जानता को सायबर फ्रॉड एवं डिजिटल अरेस्ट के संबंध में जागरूक कर डिजिटल अरेस्ट के संबंध में जानकारी एवं उपाय बताया गया।

क्या है डिजिटल अरेस्ट ?

साइबर अपराधी नये नये तरीकों से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं साइबर ठग लोगों को डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फंसा कर डराते, धमकाते हैं। उन पर मनी लॉड्रिंग, ड्रग्स सप्लाई व अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं और उनकी मोटी कमाई लूट लेते हैं।

डिजिटल अरेस्ट एक साइबर स्कैम है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फोन करने वाले कभी पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई, कस्टम अधिकारी या दिल्ली, मुम्बई का पुलिस अधिकारी बनकर आत्म विश्वास से बात करते हैं तथा पूछताछ हेतु व्हॉटसप या स्काईप कॉल पर जब कनेक्ट करते हैं तो आपको फर्जी अधिकारी एकदम असली लगते हैं। वे लोग पीड़ित को इमोशनली और मेन्टली टॉर्चर करते हैं। और यकीन दिलाते हैं कि उनके या उनके परिजन के साथ कुछ बुरा हो चुका है या होने वाला है। वे आपको बताते हैं कि आप अपराधी हैं या कहते हैं कि आपके आधार कार्ड, मोबाईल नम्बर का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों में हो रहा है। सामने बैठा व्यक्ति पुलिस वर्दी में होता है ऐसे में ज्यादातर लोग डर जाते हैं और उनके जाल में फंसते चले जाते हैं।

साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट में कैसे फंसाते हैं ?

1. साइबर ठग अनजन नम्बर से व्हॉटसप पर विडियो काल करते हैं।

2. आपके पार्सल में ड्रग्स मिलने और आपत्तिजनक सामान मिलने की बात कहते हैं।

3. अगर आप मना करेंगे तो वे आपके फोन नंबर व आधार यूज होने की बात कहेंगे।

4. आपको किसी केस में फंसने या परिजन को किसी मामले में पकड़े जाने की जानकारी दी जाती है।

5. पूछताछ के नाम पर विडियो कॉल में जुड़ने के लिये कहेंगे तथा धमकी देकर विडियो कॉल पर लगातार बने रहने के मजबूर किया जाता है।

6. साइबर स्कैमर आपको मनी लॉड्रिंग, ड्रग्स सप्लाई या अन्य अवैध गतिविधियों का आरोप लगाते हैं।

7. पीड़ित को, परिवार या किसी को भी इस बारे में कुछ न बताने की धमकी दी जाती है।

8. विडियो कॉल करने वाला व्यक्ति का बैकग्राउण्ड पुलिस स्टेशन जैसा नजर आता है।

9. पीड़ित को लगता है कि पुलिस उससे ऑनलाईन पूछताछ कर रही है या मदद कर रही है।

10. केस को बंद करने और गिरफ्तार से बचने के लिये जमानत के तौर पर मोटी रकम की मांग की जाती है।

 

*डिजिटल अरेस्ट का शिकार होने पर क्या करें:-*

 

1. तत्काल अपने बैंक को सूचित करें और एकाउंट को फ्रिज करायें।

2. साइबर क्राईम की शिकायत नेशनल साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर जाकर या 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज करें।

3. सभी आवश्यक दस्तावेजों और सबूत जैसे कॉल डिटेल्स, ट्रांजेक्सन, मैसेज को संभाल कर रखें।

4. आवश्यकता पड़ने पर अपने नजदीकी थाना या साइबर थाना में सम्पर्क करें।

डिजिटल अरेस्ट से स्वयं को कैसे बचायें

डिजिटल अरेस्ट से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है सतर्क रहना तथा निम्न उपाय से स्कैम से बचा जा सकता हैः-

1. संदिग्ध व्यवहार को पहचाने – ऐसे कॉल से सावधान रहें जो खुद को सरकारी अधिकारी बताकर पैसे के मॉग करते हैं। वास्ताविक सरकारी अधिकारी कभी भी फोन पर सीधे पैसे के मॉग नहीं करते।

2. दबाव में ना आवें – साइबर ठग अक्सर ऐसे हालत पैदा करते हैं कि पीड़ित को डर का सामना करना पड़े, यदि आपको किसी कॉल में डराया जाता है तो घबराये नहीं पहले स्थिति को समझें।

3. कॉलर की पहचान की पुष्टि करें – यदि किसी कॉल पर संदेह हो तो संबंधित एन्जेसी से सम्पर्क कर उसकी पहचान की पुष्टि करें।

4. संवेदनशील जानकारी साझा न करें – फोन या विडियो कॉल पर किसी से अपनी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा न करें। विशेष कर अज्ञात नम्बरों का।

5. किसी अंजान लिंक पर क्लिक न करें।

6. किसी के द्वारा भेजी गई एपीके फाईल को इंस्टाल न करें।

7. सभी एकाउंट के लिये टू-वे वेरीफिकेशन फीचर ऑन रखें।

साइबर अपराध घटित होने पर साइबर क्राईम की शिकायत नेंशनल साइबर क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल *cybercrime.gov.in* पर जाकर या *1930* पर कॉल कर शिकायत दर्ज करें।

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