छत्तीसगढ़

केन्द्रीय सहायता मद 15वी वित्त की राशि का बंदरबाट ‘‘खर्च बड़े ही निराले अंदाज में’’, किया जा रहा है भ्रष्टाचार ….

जगदलपुर(प्रभात क्रांति), छत्तीसगढ़ में बस्तर जिला बरसों से पिछड़ा क्षेत्र होने के कारण से यहां केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित करती रहती है इन योजनाओं का संचालन करने का मुख्य उदेश्य बस्तर जिले में पिछड़े क्षेत्रों को विकास की राह पर लाना है ।
इन महत्वपूर्ण योजनाओं के स्वीकृत उपरांत योजना में खर्च एवं शासकीय मद का लेखा जोखा एवं कार्य योजना जिले में बैठे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बनायी जाती है ताकि योजनाआंे का सफलता पूर्वक संचालन किया जा सके ।

15वें वित्त योजना समृद्ध भारत में केन्द्रीय सहायता मद योजना जन कल्याण हेतु बनाया गया है, पांच वर्षों 2021-22 से 2025-26 तक ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी)/पंचायतों को साफ पानी और स्वच्छता के लिए 1,42,084 करोड़ रुपये का सशर्त अनुदान स्वीकृत हुआ है । गांवों में इन सेवाओं को सुनिश्चित करने और इस प्रकार की सहायता से ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा जीवन की गुणवत्ता पर अत्यधिक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा । 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदान से ग्राम पंचायतों को उनकी सुनिश्चित जलापूर्ति और स्वच्छता संबंधी योजनाओं को लागू करने के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध होगी तथा ग्राम पंचायतें ‘सेवा वितरण‘ पर ध्यान केंद्रित करते हुए स्थानीय सार्वजनिक सेवाओं के रूप में महत्वपूर्ण कार्य कर सकती हैं । यह भारत के संविधान में 73वें संशोधन के अनुरूप स्थानीय स्वायत्त शासन को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है ।

इस योजना के जी.पी.डी.पी. (ग्राम पंचायत विकास योजना) के नाम से यह योजना में केन्द्रीय वित्त योजना की राशि को व्यय करने की योजना बनाई गयी है जिसमें शासन के दिशा-निर्देश जारी की जाती है निर्देशों के अनुरूप ही 60 से 40 प्रतिशत 60 में 30 प्रतिशत स्वच्छता में जल 30 प्रतिशत में शिक्षा स्वास्थ्य योजना के तहत खर्च किया जाता है 40 प्रतिशत की राशि अधोसंरचना के निर्माण में खर्च की जाती है इस राशि के व्यय हेतु जी.पी.डी.पी. की प्लान बनाई जाती है जो जिला प्रशासन के द्वारा सामान्य सभा में पारित की जाती है । ठीक ऐसे ही जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत में भी इस योजना से राशि विकास कार्यो में व्यय करने की योजना बनाई जाती है जिसमें ग्राम पंचायत में पंचों की सहमति होना अनिवार्य होता है तथा सहमति में उनके द्वारा इस राशि का ग्राम पंचायत में महत्वपूर्ण कार्य के लिए यह योजना को पारित किया जाता है ताकि क्षेत्र का विकास हो सके ।

किन्तु इन ग्राम पंचायतों के प्रधान सरपंच एवं लक्ष्मी पुत्र सचिव के द्वारा कार्य योजना को गोपनीय तरीके से बनाकर ग्राम पंचायत में उप सरपंच पंचों में विशेष ग्राम सभा में इस योजना को हस्ताक्षर कर पारित कर दिया जाता है जिससे पंचायत में बैठे अन्य ग्राम पंचायत के सदस्यों को इसकी जानकारी नही होती जिस कारण संबंधित पंचायत के सरपंच एवं सचिव की मनमानी धड़ल्ले से चलती है. इन योजना में केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत राशि का ग्राम पंचायत में मनमाने तरीके से खर्च की जाती है जिसकी जानकारी ग्राम पंचायत के अन्य पंचों एवं उप सरपंचों को नही दी जाती है ।

प्रस्तावित वित्त योजना में विभिन्न कार्य कागजों में ही किया जाता है जिसमें आज भी कई कार्य जमीनी स्तर पर अधूरे पड़े है इस योजना में निम्न विभाग के अधिकारी की अनिवार्य जरूरी है जिसमें शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, कृषि विभाग में गौठान, पशु पालन, मुर्गी पालन, रेशन पालन, वन विभाग, ग्रामीण विभाग एवं सबसे महत्वपूर्ण विभाग ग्रामीणी यांत्रिकी विभाग में बैठे इंजीनियर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है संबंधित विभाग में कार्य योजना की प्राक्कलन की सुक्ष्मता से जांच ग्रामीण यांत्रिकी में बैठे इंजीनियर के द्वारा ही प्राक्कलन की स्वीकृति दी जाती है, किन्तु कई विभाग पर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के इंजीनियर निर्माण कार्य अधिकृत सरंपच सचिव पर महेरबान रहते है जिसका फायदा उठाकर यत्र-तत्र कार्य को अंजाम दिया जाता है।

स्वीकृत राशि का बंदरबाट की जाती है तथा 15वी वित्त येाजना के तहत विभिन्न कार्य वर्तमान में भी संचालित है जिसमें करोड़ों रूपये आज भी निकाले जा रहे है जो हकीकत में आम जनता को लाभ पहुंचाने की योजना को 15वी वित्त योजना के नाम से केन्द्र सरकार द्वारा पिछड़ा क्षेत्र में विकास कार्य हेतु राशि दी जाती है वह राशि का संबंधित अधिकारी एवं ठेकेदार के द्वारा दोेहन करने में कोई कसर नही छोड़ रहे । इसी तरह केन्द्र से मिल रहे नल-जल योजना की स्थिति भी जस की तस है संबंधित विभाग द्वारा ढिलाई बरती जा रही है केन्द्र एवं राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार डबल इंजन की सरकार होने के कारण ठेकेदारों पर कार्यवाही न करना तथा केन्द्र सरकार की योजना पिछड़ा क्षेत्र तक नही पहुंचना बस्तर के लिए सोचनीय विषय है ।

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