बढ़ती आबादी, घटते जंगल के जद में जुनावनी साल वृक्ष का एक अनोखा जंगल…
जगदलपुर(प्रभात क्रांति), बस्तर जिला जो पूर्व से ही बीहड़ जंगल क्षेत्र के नाम से जाना जाता है इस जंगल में कई अनोखे फल के साथ तरह-तरह के वन औषधि भी यहां प्रचुर मात्रा में पाये जाते है ।
इसी के तहत जगदलपुर जिला के बस्तर वनमण्डल क्षेत्र के वन परिक्षेत्र बकावण्ड़ के ग्राम जुनावनी एवं मालगांव के बीच अनोखा साल वृक्ष का जंगल यहां स्थित है जो चार गांव को जोड़ने के बाद भी बहुत ही सुंदर सरगी का घना जंगल है । पूर्व में इस क्षेत्र में बड़े-बड़े साल के झाड़ हुआ करता था परन्तु अतिक्रमण और अवैध कटाई के कारण साल वृक्ष ठुट विगत कई वर्षो से बढ़ रहा है और लोग काटते जा रहे है ।
विगत पांच वर्ष एवं दस वर्ष में ही यह प्रचुर मात्रा में बड़े वृक्ष का रूप ले लेता है जिससे बड़े झाड़ दिखने से जंगल की रौनक बढ़ जाती है इस क्षेत्र में साल के अलावा कुरलु, तेन्दू, हर्रा, बहेड़ा एवं सिवना जैसे कई विशेष वृक्ष भी इस क्षेत्र में लगे हुए है । किन्तु यहां स्थित वन विकास समिति एवं वन विभाग के अंदेखी के चलते यह जंगल लुप्त होने के कगार में आ रहा है ।
इस क्षेत्र में विगत कई वर्षो से अनुशंधान किया जा रहा है वन विभाग के द्वारा इस जंगल की सुरक्षा हेतु घेरा-बंदी के लिए राशि की स्वीकृति भी की गई थी बॉड्री वॉल एवं सीमेंट पूल के लिए स्वीकृत राशि को पूर्व के अधिकारी एवं कर्मचारियों तथा वन विभाग एवं समिति के द्वारा सीमेंट एवं बॉड्री बॉल के लिए स्वीकृत राशि का बंदरबाट कर करोड़ो रूपये का भ्रष्टाचार किया गया ।
इस जंगल की सुरक्षा हेतु बॉड्री अब तक नही लगाया गया है जिसके कारण यह बस्तर का अनोखा जंगल लुप्त होते नजर आ रहा है जो महिलाओं के लिए सरबोझ बनते जा रहा है इस पर संबंधित विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों की नजर नही है । इस क्षेत्र में 30 हेक्टर जमीन को रेशम विभाग द्वारा सरगी झाड़ को हटाकर अर्जुना झाड़ लगाया गया है । वही कुछ जंगल बचे है वह धीरे-धीरे खत्म होने के कगार पर है । इस क्षेत्र में बेशकीमती पेड़ जो दिनों दिन खत्म होते नजर आ रहे है अधिकारियों की नजर नही पड़ने के कारण से स्थानीय ग्रामीणों में रोष व्याप्त है ।
वर्तमान में यही जंगल ही बचा है जिससे ग्राम मालगांव, गुमड़ेल, कोहकापाल, उलनार, करीतगांव, जैसे गांव के लिए यह जंगल निस्तारी के लिए पहला साधन है । किन्तु संबंधित अधिकारी के लापरवाही से यह जंगल धीरे-धीरे लुप्त होते नजर आ रहा है । जंगल किनारे एवं आसपास बंगालियों अन्य ग्रामीणों के द्वारा खेती कर इस जंगल के बीचों-बीच ट्रेक्टर एवं संसाधन को दौड़ाया जा रहा है । जिससे जंगल की महत्ता पूरी तरह से खत्म होती नजर आ रही है । इस क्षेत्र में रेंजर का भी नजर नही पड़ पा रहा है ।
यदि समय रहते वन विभाग के द्वारा इस साल वृक्ष का अनोखा जंगल की देख-रेख हेतु संरक्षण नही किया गया तो आगामी समय में खत्म होने में समय नही लगेगा जो आने वाला समय में एक विस्फोटक हो सकता है ।