छत्तीसगढ़

सरकारी चावल के अवैध कारोबार करने वालो की अब खैर नही, बकावंड में तहसीलदार के रुप मे पदस्थ डिप्टी कलेक्टर अवैध कारोबार का कर रहे पर्दाफाश,  कई बड़े चेहरे होंगे बेनकाब….

जगदलपुर(प्रभात क्रांति)। बस्तर जिला जगदलपुर के जनपद पंचायत बकावंड के सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बीपीएल और एपीएल परिवारों को मिलने वाले चावल का अवैध गोरखधंधा तेजी से फलफूल रहा है।  राशन दुकान संचालक, गांव के छोटे किराना व्यवसाई, मिलर्स के साथ ही खाद्य विभाग के निरीक्षक स्तर के अधिकारी इस अवैध कारोबार से मालामाल हो रहे हैं।

इसकी शिकायत कई वर्षो से की जा रही थी किन्तु किसी तरह की कार्यवाही संबधित अधिरकारियो द्वारा नही की जा रही थी किन्तु बकावंड ब्लाक में तहसीलदार के रुप मे पदस्थ नये डिप्टी कलेक्टर ने इस अवैध कारोबार का पर्दाफाश किया है।

तहसीलदार के द्वारा ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए बकावंड ब्लाक के अंतर्गत छोटे देवड़ा नारायण राइस मिल से सोमवार को 1500 बोरी में भरे राशन के चावल को ज़ब्त किया गया है। सूत्रों के अनुसार राशन के चावल की अवैध खरीद फरोख्त का यह एक छोटा सा नमूना है। जिले में संचालित राइस मिल, उनके द्वारा मिलिंग व विक्रय किए गए चावल तथा इसके अनुपात में बिजली की खपत समेत अन्य सभी अभिलेखों का यदि बारीकी से जांच किया जाए तो करोड़ों रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आएगा वहीं कई व्यापारी व खाद्य तथा नान के अधिकारी-कर्मचारियों के चेहरे बेनकाब होने की सम्भावना है।

ब्लाक में करीब 38 हजार बीपीएल राशन कार्ड हैं इसके अलावा अंत्योदय व एपीएल राशन कार्ड में भी प्रत्येक कार्ड में 35 किलो चावल मिलता है। अधिकांश बीपीएल परिवार धान उत्पादक किसान हैं जो सरकार को बेचने के लिए मोटा और स्वयं के खाने के लिए पतला चावल का उत्पादन करते हैं। इसके अलावा अधिकांश एपीएल कार्डधारी हर माह अपने हिस्से का सरकारी चावल बेचकर बाजार से पतला चावल खरीदते हैं।

मंडी में धान 2400 रुपए किव की दर पर बिक रहा है पर सरकारी चावल 2000 रुपये किव में सहज सुलभ है। स्थिति यह है कि राशन दुकान से अब चावल लाने की भी जरूरत नहीं है बस वहां जाकर अंगूठा दबाओ और 20 रुपये किलो की दर पर भुगतान मिल जा रहा है वहीं ग्रामीण इलाके के किराना दुकानों में भी 18-20 रुपए किलो की दर पर राशन के चावल की खरीद फरोख्त धड़ल्ले से की जा रही है और बोरा बदल कर उसे क्षेत्र के राइस मिलों में 2300-2400 रुपए प्रति किवं की दर से बेचा जा रहा है।

मिलर्स इस चावल की पालिस कर उसे कस्टम मिलिंग के लिए सरकार के पास जमा कर रहे हैं,  दोबारा मिलिंग किये चावल में कनकी का प्रतिशत अधिक होता पर इसके एवज में मिल रहे रिश्वत की वजह से पूरा मामला दफन हो जाता है। इसके अलावा पीडीएफ का चावल परमिट के साथ बोरा बदल कर पड़ोसी राज्य आंध्र व तेलंगाना भेजा जा रहा है, जहां यह चावल इडली डोसा, शराब बनाने के काम मे आ रहा है वहीं सीमावर्ती ओडिशा में इस चावल का नमकीन बन रहा है।

बकावंड ब्लाक में तहसीलदार के ताबड़तोड़ कार्यवाही में अवैध कारोबार करने वाले डरे हुए नजर आ रहे है अब देखना यह है कि इस कार्यवाही से कितने बड़े व्यापारियों के चेहरे बेनकाब होते हैं।

 

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